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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हौरा शास्त्र ( जिसका अनुवाद मद्रास के. सी. आयरने १८८५ में किया ) लघुजातक ( जिसके कुछ भाग का अनुवाद प्रो० वेवर और डॉ. याकोबी ने १८७२ में किया है । पंञ्च सिद्धान्तिका बनारसवाले महामहोपाध्याय श्री सुधाकर द्विवेदी तथा थीवो ने इसे १८८९ में प्रकट किया है और बहुत से हिस्से का अनुवाद भी किया है। वराहमिहिर का जन्म शक ४१२ (वि. ५५९ ) और मृत्यु समय ५०९ ( वि० सं० ६४४ ) में माना जाता हैं। भद्रबाहु स्वामी को भी ज्योतिष का उच्च ज्ञान था । आप के द्वारा रचित निम्न ग्रन्थ हैं- आचारांग निर्युक्ति, सूत्रकृतांग नि०, दशवैकालिक नि०, उत्तराध्ययन नि०, आवश्यक नि०, सूर्यप्रज्ञप्ति, ऋषिभाषित निर्युक्ति, ओघनियुक्ति संसक्त नि० मूल ग्रन्थ ये है बृहत्कल्प व्यवहार, दशा, मद्रसहिता, गृहशांति स्तोक, द्वादशभाव जन्म मदीप, बसुदेव हिन्दी इनके उपरोक्त समग्र ग्रन्थो में जन्मदीक्षादि कोई ऐतिहासिक उल्लेख नहीं । ९ सप्ताश्विवेदसंख्यं शक काल मयास्य चैत्रशुक्लादौ, अर्धास्तिमिते मानौ, यवनपुरे सौम्यदिवसाद्ये, १० वर्तमान में पर्युषण पर्व में जो कल्पसूत्र वाचन होता है वह प्रस्तुतः सूत्र का आठवां अध्ययन बतलाया जाता है। ११ प्रकाशित संहिता से वे भिन्न है । १२ वंदामि भद्रबाहु जेणय अकर, सिध बहुकद्दा कलिये कसबा लक्खं चरित्रं वसदेवरायस्स For Private and Personal Use Only "शांतिनाथ चरित्रं" मंगलाचार• Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
SR No.020335
Book TitleGandhar Sarddhashatakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttsuri
PublisherJinduttsuri Gyanbhandar
Publication Year1944
Total Pages195
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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