SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | केवळज्ञान प्राप्त कर सर्व ७२ वर्ष का आयु पूर्ण कर इस्वीसन् पूर्व ५२६ कार्तिक कृष्णा अमावस्या को अपापापुरी-पावापुरी में मोक्ष गये। आप जैन धर्म के प्रवर्तक नहीं प्रत्युत प्रचारक थे। कई लोग प्रवर्तक मानते है। पं. जवाहरलाल नहेरु जैसे विचारक भी इसी भ्रांति में हैं। गौतमादि गणधरः भगवान महावीर के एकादश गणधरों में गौतमस्वामी सबसे बड़े थे, सर्वानुसार ये भी ब्राह्मण कुल में उत्पन्न हुए थे। इ. स. पूर्व ५२६ में केवलज्ञान उत्पन्न हुआ और इ. स. ५१४ में वैमारगिरि पर्वत पर मोक्ष गये । सुधर्मास्वामी: पांचसो विप्र पुत्रों के पाठक थे। भगवान के पास इन्होंने ५०० शिष्यों-छात्रों सहित ५० वर्ष की अवस्था में दीक्षा ग्रहण की और इ. स. पूर्व ५०६ में वैमारगिरि पर्वत पर मोक्ष गये। जम्बूस्वामीः आपका जन्म राजग्रही नगरी में ऋषमदत्त ब्राह्मण की धर्मपत्नी धारिणी देवी की रत्नकुक्षी से हुआ, आपने पंचशत चौर ८ ३. हिन्दुस्तन में बुद्ध और महावीर हुए । महाबीर ने आजकल का प्रचलित जैन धर्म चलाया, इनका असली नाम वर्द्धमान था । विश्व इतिहास की झलक पृ० ५८ ४ कल्पसूत्र-कल्पलत्ता वृत्ति में इन्हें वणिक बताया गया है. पुनः जम्बू कुमारों वणिक् जातित्वात् महालोभो यतो मुक्तिनगेर प्रविश्य......पृ० २१८ For Private and Personal Use Only
SR No.020335
Book TitleGandhar Sarddhashatakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttsuri
PublisherJinduttsuri Gyanbhandar
Publication Year1944
Total Pages195
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy