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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १२ उदाहरण । (१) ५ ४ प्र उदा० (४) www.kobatirth.org ३ ग्र २ संकलन | 解 (२) - ५ कर ३ ग्रे - क 可 ३ घर - ६ ल १० अ १०यर- ११ ल (१) यहां ५ ऋ, ४ . और इन का योग १० होता है। क्योंकि यह एक हि पदार्थ पांच बेर, चार बेर और एक बेर मिल के दस हि बेर होगा यह स्पष्ट है । २ क -१४कर - (२) यहां – ५२ -०१ और २कर इन का योग १४ कर होता है । इस का भी कारण स्पष्ट हि है कि जो कर यह एक हि पदार्थ पांच बेर, सात बेर और दो बेर ऋण किया जावे तो वह पदार्थ चौदह बेर ऋण होगा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www (३) इस में पहिले ५ यर, २यर और ३ पर इन का योग १० पर और - ल९ - ४ ल और -६ ल े इन का योग - ११ल होता है । अ १० घर - ११२ ये दोनो विजातीय हैं इसलिये इन का १० घर - ११ ल१ यही योग है । दूसरा प्रकार । जब सजातीय संकलनीय पदों के चिह्न विजातीय हैं (३) ५ यर - २यर - २१ । रोति । धन वारयातकों का और ऋया बारातों का लग २ योग करो फिर जिस योग की संख्या अधिक हो उस में जिस की संख्या न्यून हो उस को घटा के जो शेष बनेगा उस से आदि में अधिक योग का चिह्न लिखो और उस के पीछे सजातीथ पत्र लिख देशो (५) - ३कर + ५ य १३ कर ३ प्रय - ४ क + अयरे ९ करे- १० अय १५ क‍ ७ वायर For Private and Personal Use Only ल ४ ल - (६) २-३ क +२ ४ +9 श्र Adul ५ क २२-५ क + ६ क • क ८ + क १५ २ - ६ क
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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