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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अनेकवर्ण एकघात समीकरण 矧運 अथवा इस भांति के उदाहरण में पहिले तीनों समीकरणों का योग कर के उस में २ का अपवर्त करो तब उस में एक एक समीकरण घटादेने से तीनों अव्यक्तों के मान तुरंत ज्ञात होंगे । जैसा । यहां (१), (२), और (३) इन का योग करने से. २+२१+२ ल = ३८ २ का भाग देने से, य+र+ल पह इस को तीन स्थानों में रख के क्रम से तीनों समीकरणों को घटा देने से, य + र + ल = १८, य + र + ल = १८, य + र + ल य+र और q = १२, य = (१) से (२) से at, घटा देने से, = रे हे १५ = १ १ Velom १ + T य + थर .१ उदा० (४) ५५ इस में यर और ल इन का मान क्या है ? -- १ www.kobatirth.org यहां तीनों समीकरणों का योग करने से, + T + बाये+रे+लेले एस में प्रत्येक समीकरण को ० + ल - १२, १ १ १०, यें + ४५ १६ 61 - २, वा, १० 10 = 2 = 240 ९० - = घर १ = उदा० (५) घ+र पल य + ल यर और ल इन का मान क्या है ? ४५ १ पद + १ 11/144 + १ Τ q य = १० .र = . य = - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (+ और है + 1 For Private and Personal Use Only .. ल ८० १८ । = १९ = २२ -2 रल और र+व = , q ४ " इस में
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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