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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra unar एकधा समीकरण । इस भांति इस उदाहरण में य = ५५ = ६ औरत-२ www.kobatirth.org उदा० (२) य +२१ - ३ ल = १०, ४ य + र • २९ और ०१ - ५ल = १६ इस में यर और लदून का अलग‍ मान क्या है ?. यहां (३) रे से र= ५ ल+१६, ओर (२) रे से य== तबर के स्थान में उस की उन्मिति को रखने से ६०९ ५ ल - - १६ ५९३ ५ ल ८४ ८४ (१) से Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir .. +२ इस में अब य और र दून की उन्मितियों का (१) में उत्थापन करने से ५२३ - ५ल ८४ (५ ल+-१६) छेदगम से, ५९३ - ५ल + १२० ल + ३८४ - २५२ ल पक्षान्तरनघन से, ९३७ ल = १३० .. ल = १ उत्थापन से य= ० और इस प्रकार से उदा० (३) य + र = १७, य + ल = १२ और + ल = इस में थर और ल इन के मान क्या हैं? ३ल = १० ५ ल + १६ ८७ ८ = ७,र = ३ और ल - १ | For Private and Personal Use Only य = १०-८, (२) से य = १२-ल, १७- १=१२ - ल और ल= र-५, ल की उन्मिति का (३) र में उत्थापन करने से र+र- ५=९, १२ ८४०. の २४ = १४ और र=० तब उत्थापन से य = १० और ल २।
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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