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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra न्यास । छेदगम से, पक्षान्तरनयन से, भिवसम्बन्धि कोक | + > य + र यह सिद्ध हुआ । (३) यह सिद्ध करो कि यर यह यर इस से न्यून होता है । www.kobatirth.org उदा० (8) ₹, व, यू. ल. यर य+र> वाय+ ४ यर > वा < यर +२ यर + ₹* २यर > वा < य + और य+ल+श + र+व+ष+है Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परन्तु २यह <थ' +, : इस से यह स्पष्ट है कि किसी राशि के विषम दो भागों के गुणनफल में उसी राशि का भाग देने से जो लब्ध होगा वह उस राशि के चतुर्थाश से सर्वदा न्यून होता है । तब यूत, बल > त, और यूथ, लय, यर य+र यह सिद्ध हुआ < । ये चार यह पद सिद्ध करो कि बड़ा हो उस से छोटा होगा और जो सब से छोटा हो उस से बड़ा होगा ।. श ६५ यहां कल्पना करो कि उम: चार पत्रों में सब से छोटा पद य हैं है और माना कि इन दोनों पदों के शतक : और सब से बड़ा पद हैं क्रम से त और थ हैं । (धन) भित्रपद हैं तो यह उन चार पदों में जो सब से >त और सूत्र त शरथ और स= थ For Private and Personal Use Only .. य - तर, ल > तव, श> तप और स> तह और य< घर, लर था, श यत्र और. स. - यह... जब कि सब बड़े पदों का योग छोटे पदों के योग से बड़ा होता है.
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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