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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra लघुतमापवर्त्य १०५ निःशेष होगा। इसी भांति तब यह य से निःशेष होता है औरत और थ परस्पर दृढ हैं इस लिये प भी थ से निःशेष होगा । .. अक्र लभ .:. www.kobatirth.org अब, प और थ इन दोनों में हर एक दूसरे से निःशेष होता है इस से स्पष्ट है कि प और थ ये दोनों परस्पर समान हैं अर्थात् प थ इस लिये क = अपम, और ल थम, वा क = पम वा चक्र = अप प्रक भ == ल । अनुमान १ । जो दो पद परस्पर दृढ हैं उन का गुणनफल उन दो पदों का लघुतमापवर्त्य है । == अनुमान २ | दो पदों का महत्तमापवर्तन और लघुतमापवर्त्य इन दोनों का गुणनफल उन दो पदों के गुणनफल के समान होता है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उदा० (१) २ य और ३ कर इन का लघुतमापवर्त्य क्या है ? यहां २ अय और ३कर ये परस्पर दृढ हैं इस लिये इन का महत्तमापवर्तन १ है, : लघुतमापवर्त्य = २० x ३ कर १ उदा० (२) ४ अय और ५ अथ इन का लघुतमापवर्त्य क्या है ? यहां उद्दिष्ट पदों का महत्तमापवर्तन अथ है । . लघुतमापवर्त्य उदा० (३) य े–र' और यह इन का लघुतमापवर्त्य क्या है ? यहां य े र े = (य+र) (य-- र) और - ४ २ ४५ प्रय अय ६ प्रकयर । २०. अ२८२ । य३ – ३ = ( + यर + र े) (य-र) 1 इस लिये उद्दिष्ट पत्रों का महत्तमापवर्तन यहै, For Private and Personal Use Only
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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