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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महत्तमापवर्तन । यहां, अई-अक+अकर-२काअर (अ-२क)+कर (अ-२क) = (अ+ कर) ( -२क) और अ-४ क = (+२ क) (अ-२ क) । अब हर एक पद के खण्डों में अ-२ क यह खण्ड है इस लिये यह उद्दिष्ट पदों का महत्तमापवर्तन है। उदा० (२) य-र और य - र इन का महत्तमापवर्तन क्या है? यहां, य-र = (य+र) (य३ - २३) = (य + र) (य२.- यर + र) (य-र) (य+यर+र), और य - र" == (य + र) (य-र) = (य+र) (य+र) (य-र)। :: यहां (य + र) (य - र) अर्थात् य-र यह महत्तमापवर्तन है। उदा० (३) अ + कई और अ+ अक+क इन का महत्तमापवर्तन क्या है? न्यास । अ + क = (अर-अक+कर) ( +क) और अ+अक+ क = अ +२ अक+क' - अकर ___= (अ+ कर)२ – (अक)२ = (अ+ अक+कर) (अर-अक+कर) :: यहां अ- अक + क यह महत्तमापवर्तन है। उदा० (४) य-३ यर +२रऔर य+ यर-घर इन का महत्त. मापवर्तन क्या है? न्यास । य-३ यर +२र = य--२ यर-यर +श = (य-२ यर)- (यर -२र२) = य (य-२र)-र (य-२२) = (य - र) य-२२), और य२ + यर-६ = य+३ यर-२ घर-घर = (य+३ यर) - (२ यर +६२२) = य (य+३र)-र (य+३र) = (य-२र) (य + ३र)। :: यहां य--२र यह महत्तमापवर्तन है। For Private and Personal Use Only
SR No.020330
Book TitleBijganit Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBapudev Shastri
PublisherMedical Hall Press
Publication Year
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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