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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दीवा० 5940-26 पंचम आरेका स्वरूप जबरदस्तीसे उपकर्णलेंगे ॥ बहुतसे मुंड होवेंगे ॥ थोड़े साधु होवेंगे ॥ और हे गौतम पांचवें आरेमें म्लेच्छराजा व्याख्या० बलवानहोवेंगे ॥ उत्तमराजा हीन बलहोवेंगे ॥ और हे गौतम म्लेच्छकुलमें पाटलिपुरनगरमें कलंकी राजा होगा। ॥४२॥ पाटलिपुरनगरका रुद्रपुर और चतुर्मुखपुरनाम स्थापेगा प्रसंगसे कलंकी राजाका खरूपकहतेहैं ॥ यशनामका चांडाल यशोदानामकीस्त्रीकी कुक्षिमें उत्पन्न होगा १३ महीना गर्भावासमेंरहके चैत्रसुदी अष्टमीकी रात्रिमें मकर - लग्नके छठे अंशमें चन्द्रनामयोगआनेसे अश्लेसानक्षत्रके पहलेपादमें मंगलवारके दिन कलंकीका जन्म होगा ॥ क्रमसे 3 |३ हाथका शरीर पीलेकेश और पीलेनेत्र होंगे ॥ तीक्षणखर महाविद्यावान् दीर्घहृदय धर्मबुद्धिरहितः ज्ञानादि गुण-11 भारहित होगा लौकिक कलामें बहुतही कुशल होगा ॥ उसकेपांचवेंवमें उदरव्यथाहोगी ॥ सातवेंवर्पमें अग्नि पीड़ा होगी ॥ ग्यारहवर्षमेधनप्राप्तिः ॥ अठारहवेंवर्ष में कार्तिकसुदी १ शनिवारको खाति नक्षत्र तुलका चन्द्रमाःवन्दननामका दिनसिद्धियोग बवकर्ण रावणमुहूर्तमें राज्याभिषेक होगा॥ आनन्दनामका घोड़ा दुर्भाषक नाम भाला मृगाङ्क नामकामुकुट दैत्यसूदननामका खड्गहोगा उस कलंकीराजाके ॥ कटिप्रदेशमें चन्द्रसूर्यका लाञ्छन होगा और कलंकी. राजा (१९) उन्नीसवेंवर्ष में अपने भुजबलसे आधेभरतका राज्य करेगा ॥ इक्कीसवें (२१) वर्षमें आबुराजाकी पुत्री पर्णेगा॥ औरभी बहुतसी रानियां होंगी उन्होंके साथ भोगभोगायता चार पुत्र होगा ॥ दत्त १ विजय २ मुंज ३ अपराजित ४ कलंकीराजाकीपाटलिपुरमें राजधानी होगी और कलंकीराजा विक्रमादित्यका संवत्सरउठाकर प्रजाको 1-MECASC-CGLCALCCACOCA ॥४२॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020325
Book TitleDwadash Parv Vyakhtyana Bhashantaram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttsuri Gyanbhandar
PublisherJinduttsuri Gyanbhandar
Publication Year1926
Total Pages180
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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