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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 168 धातुसंग्रह. विष, (ल) उ. 3. व्याप्ती. व्यापपुं. वेवेष्टि-विष्टे विश्वं विष्णुः (17 विश्वने ___ यापेछ. विष्णु, विषाणम्. (1), वेषः, परिवेषः (पशिघि). विष्, (अ) प. 9. विप्रयोगे. भिन्न 2. विष्णाति लिन छे, विषम्, विष्क, (अ) आ. 10. हिंसायाम्. पुं. विश्कयते थे. विष्क, उ. 10. दर्शने. . विष्कयति-ते गुवेछे. विस, (अ) प. 4. प्रेरणे. प्रेयु.विस्यति प्रेरेछ. विसम्, विस्तम्, (सोनाना 80 २ती नातोलो). वि, प. 2 गतिव्याप्तिमजनकांत्यसनखादनेषु. प्रजनी गर्भग्रहणम्. असनं क्षेपणम् 1rg, 2 व्या५j, 3 गर्न अहवी, 4 420, 53, 1 मा. वेति जयछे इ०. वेतनम्. (50 // 2), वेरम् (1 / 12), कुबेरः (धन). वेतसः (क्षावृक्ष), बीजम् (वार्य), 1 वेणिः, 2 वेणी (प्रा), त्रिवेणी (विप्रवाह). वीज, (अ) उ. 10. व्यजने. वायु 613यो, वायुनावो. वीजयति-ते पा 6 उछे. वीजनः = पीra. वीर, आ. 10. विक्रांती. 52 // j. वीरयते शूरो थायछ. वीरः (1 पी२२स, ___2), वीर्यम् (16). वुग, (इ) प. 1. वर्जने. qj, Horg. बुंगति खलं साधुः साधु सने तो. वुद, (अ) उ. 10. हिंसायाम् 69. वोटयति-ते हणुछ. वुस, (अ) प. 4. उत्सर्गे. उत्सर्गस्त्यागः. तर, . बुस्यति कंचुकं सर्पः सा५ युभाने तलछे. वुसम् (पराण). वुस्त, (अ) उ. 10. आदरानादरयोः. 1 मा६२ ४२वो, मना६२ ४२वो. वुस्तयति-ते भा६२४२छे, मना६२४२२. बुस्तिः (लेली). वृ, (3) उ. 5. वरणे. 12, सी४२. वृणोति-- वृणुते परेछे. वरः (मा), १वरः, २प्रवरः (4), वर्यम् (पेय), वर्या कन्या, नीवारः = नीवारो= नभा२ (मी), वरंडः (1 भुमरी, 2 वी मध्य, 3 समूह), 1 वर्वरः, 2 वर्वरी = बब्बरी = बाबरी (यित), वरत्रा = १२त (न्यामानो हो२),१ वारि, 2 शंबरम्, 3 वाः (2 + 45), वृतम् = वेटम् = सीटुं. वृकः (वनतरो), वरणः = 12, (मे पक्ष छे). For Private And Personal Use Only
SR No.020313
Book TitleDhatu Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages210
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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