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[ ग] के लिये आप चिन्तामणि के समान है। फाल्गुनी अमावस्या के दिन आपकी स्वर्गजयन्ती सर्वत्र मनायी जाती है। ___४-चौथे श्री दादा गुरुदेव श्री श्री १००८ श्री मज्जिनचंद्र सूरीश्वरजी महाराज सतरहवीं शताब्दीके महान शासन प्रभावक थे। आप श्रीजिनमाणिक्यसूरिजी महाराज के पट्टधर थे। आपने मुगल-सम्राट अकबर को अहिंसा के रंग में रंग दिया था । सम्राट ने आपकी प्रसन्नता के लिये अपनी भक्ति से जीवदया के कई फरमान अपने शासित प्रदेशों में प्रचारित किये थे। अकबर के अन्तिम जीवन में जो दयाधर्म की मलक इतिहास में प्रसिद्ध है वह आपके त्याग तपोबल का प्रभाव था। सिरोही की लूट से लायी हुई सहस्राधिक धातुमय जिनप्रतिमाएं मुगलों द्वारा नष्ट होने से बचाकर जैन संघ के आधीन की जो आज भी बीकानेर के श्री चिन्तामणिजी के भण्डार में सुरक्षित है और उपद्रव निवारणार्थ कभी-कभी पूजी जाती हैं । सम्राट जहाँगीर द्वारा साधु-विहार प्रतिषेधकी आज्ञा को अपने प्रभाव द्वारा आपने रद्द करवा कर जैन संघकी महान् सेवा की थी। आपने धर्मसागरोपाध्याय को चौरासी गच्छ के आचार्यों की मध्यस्थता में पराजित कर जिनशासन के कलह वृक्ष को उखाड़ डाला। शूरवीर और दानवीर परमार्हत् मंत्रीश्वर कर्मचन्द्र बच्छावत जैसे आपके तेजस्वी भक्त श्रावक थे। अहमदाबाद के पोरवाड़ शिवा-सोमजी भ्राताओं ने आपकी कृपा से ही समृद्ध होकर जिनशासन की बड़ी सेवायें की। आपकी जन्मभूमि खेतसर (मारवाड़) थी तो स्वर्गभूमि बिलाड़ा प्रसिद्ध
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