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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ६८ चिकित्सा - चन्द्रोदय | गुड़ाहट होती है, अफारा आ जाता है, साँस रुक-रुककर आता और बेहोशी हो जाती हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कनेरकी शोधन - विधि | कनेरकी जड़के टुकड़े करके, गायके दूधमें, दोलायन्त्रकी विधि से पकाने से शुद्ध हो जाती है । कनेरके विषकी शान्ति के उपाय | ( १ ) लिख आये हैं, कि कनेर - खासकर सफ़ेद कनेर विष है । इसके पास साँप नहीं आता। अगर कोई इसे खा ले और विष चढ़ जाय, तो भैंस के दही में मिश्री पीसकर मिला दो और उसे खिलाओ, जहर उतर जायगा । ( २ ) " तिब्बे अकबरी " में लिखा है: - १ - वमन कराओ । इसके बाद ताजा दूधसे कुल्ले कराओ और कच्चा दूध पिलाओ। २- जौ के दलिया में गुल-रोगन मिलाकर पिलाओ। ३ -- जुन्देवेदस्तर सिरके और शहद में मिलाकर दो, पर प्रकृतिका ख़याल करके | ४ -- दूध और मक्खन खिलाओ। यह हर हालत में मुफीद है। ५ - शीतल जल सिरपर डालो । ६ -- शीतल जलके टब या हौज़में रोगीको बिठाओ । नोट -- इसकी जड़ खानेका हाल मालूम होते ही क्रय करा देना सबसे अच्छा उपाय है। इसके बाद कच्चा दूध पिलाना, शीतल जल सिरपर डालना और शीतल जजमें बिठाना - ये उपाय करने चाहियें। क्योंकि सफ़ ेद कनेर बहुत गरमी करती है। खाते ही शरीर में बेतहाशा गरमी बढ़ती और गला सूखने लगता है । अगर जल्दी ही उपाय नहीं किया जाता, तो आदमी बेहोश होकर मर जाता है । यह बड़ा तेज़ ज़हर है । For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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