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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विष-उपविषोंकी विशेष चिकित्सा--"कनेर”। ६६ औषधि प्रयोग । (१) सफेद कनेरकी जड़, जायफल, अफीम, इलायची और सेमरका छिलका,-इन सबको छ-छै माशे लेकर, पीस-कूटकर छान लो। फिर एक तोले तिलीके तेलमें गरम करके, सुपारी छोड़, बाक़ी इन्द्रियपर तीन दिन तक लेप करो। इस दवासे लिङ्गमें बड़ी ताक़त आ जाती है। (२) सफेद कनेरकी जड़को पानीके साथ घिसकर साँप-बिच्छू आदिके काटे हुए स्थानपर लगानेसे अवश्य आराम होता है। परीक्षित है। (३) आतशक या उपदंशके घावोंपर सफ़ेद कनेरकी जड़ घिसकर लगानेसे असाध्य पीड़ा भी शान्त हो जाती है। परीक्षित है। (४) रविवारके दिन सफ़ेद कनेरकी जड़ कानपर बाँधनेसे सब तरहके शीतज्वर भाग जाते हैं। शास्त्रमें तो सब ज्वरोंका चला जाना लिखा है, पर हमने जूड़ी ज्वरोंपर परीक्षा की है। (५) सफेद कनेरकी जड़को घिसकर मस्सोंपर लगानेसे बवासीर जाती रहती है। (६) लाल कनेरके फूल और चाँवल बराबर-बराबर लेकर, रातको, शीतल जलमें भिगो दो। बर्तनका मुँह खुला रहने दो। सवेरे फूल और चाँवल निकालकर पीस लो और विसर्पपर लगा दो; अवश्य लाभ होगा। परीक्षित है। (७) दरदरे पत्थरपर, सफेद कनेरकी जड़ सूखी ही पीसकर, जहाँ सिरमें दर्द हो लगाओ; अवश्य लाभ होगा। (८) सफेद कनेरके सूखे हुए फूल ६ माशे, कड़वी तम्बाकू ६ माशे और इलायची १ माशे-तीनोंको पीसकर छान लो। इसको सैं घनेसे साँपका जहर नाश हो जाता है। __(8) सफ़ेद कनेरकी जड़का छिलका, सफेद चिरमिटीकी दाल और काले धतूरेके पत्ते,--इन सबको समान-समान अट्ठाईस For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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