SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 85
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा - चन्द्रोदय | ( ६ ) जिस तरह बहुत-सा गायका घी खाने से धतूरेका ज़हर उतर जाता है, उसी तरह दूधमें घी मिलाकर पिलानेसे संखियेका ज़हर उतर जाता है । (१०) घीके साथ सुहागा पीसकर पिलाने से संखियाका जहर साफ़ हो जाता है । सुहागा सभी तरह के विषोंको नाश करता है । अगर संखियाके साथ सुहागा पीसा जाय, तो संखियाका विष नष्ट हो जाय ! ( ११ ) वैद्यकल्पतरु में संखिया के विषपर निम्नलिखित उपाय लिखे हैं: ( क ) वमन कराना सबसे अच्छा उपाय है । अगर अपने आप वमन होती हों, तो वमनकारक दवा देकर वमन मत कराओ । (ख) घी संखिया में सबसे उत्तम दवा है । घी पिलाकर वमन कराने से सारा विष घी में लिपटकर बाहर आ जाता है और घीसे संखियाकी जलन भी मिट जाती है । अतः घी और दही खूब मिला कर पिलाओ। इससे क्रय होकर रोगी चंगा हो जायगा । अगर क़य होने में विलम्ब हो तो पक्षीका पंख गले में फेरो | थोड़े से पानी में २० प्र ेन सलफेट आफ जिंक (Sulphate of Zine) मिलाकर पिलाओ। इससे भी क्रय हो जाती हैं । राईका पिसा हुआ चूर्ण एक या दो चम्मच पानी में मिलाकर पिलाओ। इससे भी क़य होती हैं । इपिकाकुनाका चूर्ण या पौडर १५ ग्रेन लेकर थोड़े से जल में मिलाकर पिलाओ। इससे भी क्रय होती हैं । नोट - इन चारोंमें से कोई एक उपाय करके क़य करा । अगर ज़ोर से क्रय न होती हों, तो गरम जल या नमक मिला जल ऊपरसे पिलाओ। किसी भी क्रय की दवापर, इस जलके पिलानेसे क़यकी दवाका बल बढ़ जाता है और खूब क़य होती हैं । अफ़ीम या संखिया आदि विषोंपर ज़ोरसे क्रय कराना ही हितकारी है। ( ग ) थोड़ी-थोड़ी देर में दूध पिलाओ। अगर मिले तो दूधमें बर्फ़ भी मिला दो । For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy