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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्कार दीखेगा । दाम की शीशी १) या २) या ४) गरम मिजाजवालोंको ये गोलियाँ कम फायदा करती हैं। . . _कास-गज-केसरी बटी।। ये गोलियाँ तर और खुश्क यानी सूखी और गीली दोनों प्रकारकी खाँसियोंमें रामवाणका काम करती हैं । एक दिन-रात सेवन करनेसे ही भयङ्कर खाँसीमें लाभ नज़र आने लगता है। इनके चूसनेसे मुँहके छाले भी आराम हो जाते हैं । १०० गोलीकी शीशीका दाम ॥) शीतज्वरान्तक गोलियाँ। __ये गोलियाँ बहुत तेज़ हैं। इनके २।३ पारी सेवन करनेसे सब तरहके शीतपूर्वक ज्वर यानी पहले ठण्ड लगकर आनेवाले बुखार निस्सन्देह उड़ जाते हैं। रोज-रोज़ आनेवाले, दिनमें दो बार चढ़नेउतरनेवाले, इकतरा, तिजारी, चौथैया आदि कष्टसाध्य ज्वरोंको अक्सर हमने “इन्हीं शीतज्वरान्तक गोलियों से एक ही दो पारीमें उड़ा दिया है। सिये तापों या जूड़ी-ज्वरपर यह गोलियाँ कुनैनसे हजार दर्जे अच्छी हैं । दाम ४० गोलीकी शीशीका ॥) नेत्रपीड़ा-नाशक गोली।। ये गोलियाँ आँख दुखनेपर अक्सीरका काम करती हैं। कैसी ही आँखें दुखती हों, लाल हो गई हों, कड़क मारती हों, रात-दिन चैन न आता हो, एक गोली साफ-चिकने पत्थरपर बासी जलमें घिसकर आँजनेसे फौरन आराम होता है। बच्चे और स्त्रियोंकी आँखें अक्सर दुखा करती हैं; इस वास्ते हर गृहस्थको एक शीशी पास रखनी चाहिये। दाम ६ गोलीकी शीशीका ।) असली नारायण तेल । (वायुरोगोंका दुश्मन) इस जगत्-प्रसिद्ध "नारायण तैल" को कौन नहीं जानता ? वैद्यक For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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