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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org राजयक्ष्मा और उरःक्षतकी चिकित्सा | ६५३ इस तरह २ महीने बसन्त - मालती - यह ख़ास तौर से बनाई हुई बसन्तमालती - सेवन करानेसे कैसा भी क्षय ज्वर क्यों न हो, अवश्य लाभ होगा। इतना ही नहीं, रोग आराम होकर, एक बार फिर नई जवानी आ जावेगी । (२५) कुमुदेश्वर रस भी क्षय रोगमें बड़ा काम करता है । उसके सेवन से वह रोगी, जिसकी आँखें सफेद हो गई हैं और जो नित्यप्रति क्षीण होता है, आराम हो जाता है । हमने कुमुदेश्वर रसकी एक विधि पहले लिखी है, यहाँ हम एक और कुमुदेश्वर रस लिखते हैं, जो बहुत ही जल्दी तैयार होता और क्षयको मार भगाता है । ग़रीबों के लिये अच्छी चीज़ है:-- शुद्ध पारा शुद्ध गन्धक अभ्रक भस्म हज़ार पुढी शुद्ध शिंगरफ शुद्ध मैनशिल लोह भस्म इन सबको समान समान लेकर, खरल में डाल, २ घण्टे तक खरल करो। फिर इसमें शतावर के स्वरसकी २१ भावनाएँ देकर सुखा लो । बस, कुमुदेश्वर रस तैयार है । कुमुदेश्वर रस मिश्री कालीमिर्च का चूर्ण शहद Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नोट-लोह भस्म वह लेना, जो मैनशिल द्वारा फूँ की गई हो और ५० आँचकी हो, अगर ताज़ा शतावर न मिले, तो शतावरका काढ़ा बनाकर भावना देना । सेवन विधि | ३ रत्ती २ माशे ५ नगका ४ माशे For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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