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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्षय-रोगपर प्रश्नोत्तर। ६१७. पिया पतले दस्तों और वमनके द्वारा बाहर निकल जाता है। उसके नेत्र नेत्रकोषोंमें घुसे हुए साफ सफ़ेद चमकते हैं, गाल बैठ जाते हैं, सिर चमकने लगता है और पैरोंकी पीठ सूज जाती हैं। इस तरह होते-होते उसे जोरसे खाँसी आती है। उससे रोगीको खूनकी क़य होती है और वह दूसरी दुनियाको कूच कर देता है । प्र०-कितने दिन पहले हम रोगीके मरणके सम्बन्धमें जान सकते हैं और किन लक्षणोंसे ? उ०--काल-ज्ञानका अभ्यास करनेसे वैद्य या जो कोई भी अभ्यास करे वह, कम-से-कम छै महीने पहले, रोगीके मरण-कालके सम्बन्धमें जान सकता है। जब रोगीके मैं हसे उसके फेफड़ोंके टुकड़े या नसोंके हिस्से निकलने लगते हैं, दोष गाढ़े रूपमें निकलने बन्द हो जाते हैं, पैरोंकी पीठ सूज जाती हैं, उनपर वरम आ जाता है, तब रोगीके मरनेमें प्रायः चार दिन रह जाते हैं। ___ जब रोगीके दोनों जाबड़ोंपर बड़े-बड़े दानों-जैसी कोई चीज़ पैदा हो जाती है, तब उसके मरनेमें ५२ दिन रह जाते हैं। जब रोगीके सिरमें काले रंगका एक बड़ा दाना-सा निकल आता है और उसे दबानेपर पीड़ा नहीं होती, तब रोगीके मरनेमें ४० दिन रह जाते हैं। ___ जब रोगीके सिरपर लाल-लाल फुन्सियाँ निकल आती हैं, उनसे चिकना-सा पीला-पीला पानी निकलता है और अँगूठेपर हरियाली-सी आ जाती है, तब रोगी चार दिनसे अधिक नहीं जीता। प्र०-चिकित्सा न करने-योग्य असाध्य रोगियोंके लक्षण बताइये। उ०-क्षयरोगीका थूक जलके भरे गिलासमें डालनेसे अगर डूब जाये-नीचे पैदेमें बैठ जावे, तो उसका इलाज मत करो; क्योंकि वह नहीं बचेगा । अगर थूक या कफ पानीपर तैरता रहे, तो बेशक इलाज करो । मुमकिन है, अच्छे इलाजसे आराम हो जावे। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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