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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झाँई और नीलिका वगैरकी चिकित्सा। ५५३. चाकूसे छेद कर लो। फिर २० माशे केशर और २० माशे जवासा, पानीमें पीसकर, उस गोलेमें भर दो और उसीके टुकड़ेसे उसका मुँह बन्द कर दो। इसके बाद एक बर्तनमें आठ सेर गायका दूध भरकर, उसमें वह गोला रख दो और दूधके बर्तनको चूल्हेपर चढ़ाकर मन्दी-मन्दी आगसे औटने दो। जब दूध जलकर सूख जाय, गोले या खोपरेको निकाल लो। फिर इस खोपरेमेंसे दवाको निकालकर पीस लो और चने-समान गोलियाँ बनाकर छायामें सुखाकर रख लो। इसमेंसे एक गोली नित्य पानमें रखकर खानेसे चेहरा खूबसूरत हो जाता है। खासकर स्त्रियोंको तो यह नुसखा परी ही बना देता है। (३५) बंगभस्म और लाखका रस--महातर, इन दोनोंको मिलाकर लेप करनेसे झाँई नष्ट हो जाती है। (३६ ) मँजीठ, लोध, लाल चन्दन, मसूर, फूल प्रियंगू , कूट और बड़की कोंपल-इन सबको पीसकर उबटनकी तरह मुंहपर मलनेसे छायी और माँई आदि नाश होकर चेहरा साफ़ और सुन्दर हो जाता है। (३७) गोंद, कतीरा और निशास्ता-ईसबगोलके पानी या लुआबमें पीसकर मुँहपर मलनेसे मुँहका रङ्ग साफ़-उजला हो जाता है। ___ नोट- चेहरा सुन्दर बनानेवालेको गरम हवा, धूप, स्त्री-प्रसंग और सोचफ़िक्रको, कम-से-कम कुछ दिनोंको त्याग देना चाहिये, क्योंकि बहुत करके इन कारणोंसे ही चेहरा कुरूप हो जाता है; अत: कारणोंके त्यागे बिना, कोरा उबटन या लेप करनेसे क्या होगा ? (३८) चौकिया सुहागा ३ तोले, केशर ३ तोले, शुद्ध सिंगरफ ३ तोले, शुद्ध मैनसिल ३ तोले और मुर्दासंग ६ तोले- इन सबको खरल में डालकर पाँच दिन बराबर घोटो, इसके बाद रख लो। इसमेंसे थोड़ी-थोड़ी दवा तिलीके तेलमें मिलाकर, शरीरपर मलनेसे For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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