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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५५२ चिकित्सा-चन्द्रोदय । . (२६) चीनियाके फूल नीबूके रसमें पीसकर लगानेसे छीप चली जाती है। (२७) सुहागा और चन्दन पानीमें पीसकर लगानेसे छीप चली जाती है। (२८) पँवारके बीजोंको अधकुचले करके, दहीके पानीमें मिला दो और तीन दिन रखे रहने दो, फिर इस पानीको बदनपर मलकर नहा डालो; छीप नष्ट हो जायगी। . (२६) कलमलीके बीज दूधमें पीसकर, उबटनकी तरह मलनेसे चेहरा साफ हो जाता है। (३०) चिड़ियाकी बीट सुखाकर और पीसकर मुँहपर मलनेसे चेहरा सुन्दर हो जाता है। _(३१ ) पीली सरसों एक पावको दूधमें डालकर औटाओ। जब जलते-जलते दूध जल जाय, सरसोंको निकालकर सुखा दो। फिर रोज इसमेंसे थोड़ी-सी सरसों लेकर, महीन पीसकर उबटन बना लो और मुखपर मलो । चेहरा चमक उठेगा। (३२) चाँवल, जौ, चना, मसूर और मटर-इन सबको बराबरबराबर लेकर महीन पीस लो। फिर इसमेंसे थोड़ा-थोड़ा चून नित्य लेकर, उबटन-सा बना लो और मुखपर मलो। चेहरा एकदम मनोहर हो जायगा। नोट-चाँवल, जौ, चना, मसूर और मटरमेंसे प्रत्येक मुंहको साफ कर सकते हैं। अगर किसी एकका भी उबटन बनाया जाय तो भी लाभ होगा। चेहरा साफ हो जायगा। (३३) समग़ अरबी, कतीरा और निशास्ता,-इनको पीसकर रख लो। नित्य ईसबगोलके लुआबमें इस चूर्णको मिलाकर, सफरमें मुँहपर मलो । राह चलनेके समय जो चेहरेपर स्याही आ जाती है, बह न आवेगी। चेहरा साफ बना रहेगा। (३४) नारियलके भीतरका एक पूरा गोला लेकर, उसमें "मना रहेगा। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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