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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२६ चिकित्सा-चन्द्रोदय । CAUS 496 Wwwwww WKWwwwxwwwwwwRDA NAVANA नर-नारी की जननेन्द्रियोंका वर्णन। WAM नरकी जननेन्द्रियाँ । पुरुष और स्त्रीके जो अङ्ग सन्तान पैदा करनेके काममें आते हैं, उन्हें "जननेन्द्रियाँ' कहते हैं। जैसे लिंग और भग । पुरुष और स्त्री दोनोंकी जननेन्द्रियाँ एक तरहकी नहीं होती । उनमें बड़ा भेद है। दोनों ही की जननेन्द्रियाँ दो-दो तरहकी होती हैं:-(१) बाहरसे दीखनेवाली और (२) बाहरसे न दीखनेवाली। बाहरसे दीखनेवाली जननेन्द्रियाँ। पुरुषका शिश्न या लिंग और अण्डकोषमें लटकते हुए अण्ड-ये बाहरसे दीखनेवाली पुरुषकी जननेन्द्रियाँ हैं। पुरुषकी तरह स्त्रीकी भग बाहरसे दीखनेवाली जननेन्द्रिय है । भगकी नाक, भगके होठ और योनिद्वार प्रभृति भी भगके हिस्से हैं । ये भी बाहरसे दीखते हैं। भीतरी जननेन्द्रियाँ। पुरुष और स्त्री दोनोंकी भीतरी जननेन्द्रियाँ वस्तिगह्वर या पेड़ की पोलमें रहती हैं, इसीसे दीखती नहीं । शुक्राशय, शुक्रप्रणाली, प्रोस्टेट और शिश्नमूल-ग्रन्थि-ये पुरुषकी पेड़ की पोलमें रहनेवाली भीतरी जननेन्द्रियाँ हैं। इसी तरह डिम्बग्रन्थि, डिम्ब प्रनाली, गर्भाशय और योनि-ये स्त्रीके पेड़ की पोलमें रहनेवाली जननेन्द्रियाँ हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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