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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा--गर्भ गिरानेके उपाय । ४६१ .... (२५) मुरमकी गुड़में लपेटकर खाने और परवल पीसकर शाफा करनेसे गर्भ गिर जाता है। - (२६) बथुएके बीज १॥ तोले लाकर, आध सेर पानीमें डालकर काढ़ा बनाओ । जब आधा पानी रह जाय, उतारकर कपड़ेमें छान लो और पिलाओ। इस नुसखेसे अवश्य गर्भ गिर जाता है। बहुत उत्तम नुसखा है। (२७) साढ़े चार माशे अश्नान पीस-क्रूट और छानकर फाँकनेसे गर्भ गिर जाता है। ___ (२८ ) सहँजनेकी छाल और पुराना गुड़--इनको औटाकर पीनेसे गर्भ गिर जाता और जेरनाल या झिल्ली आदि निकल आते हैं। (२६) जङ्गली कबूतरकी बीट और गाजरके बीज बराबरबराबर लेकर, आगपर डाल-डालकर, योनिको धूनी देनेसे गर्भ गिर जाता है। ___ (३०) ऊँटकटारेकी जड़ पानीके साथ सिलपर पीसकर पेटपर लेप करनेसे गर्भ गिर जाता है। (३१) गुड़हल के फूल जलके साथ पीसकर, नाभिके चारों तरफ लेप करनेसे गर्भ गिर जाता है। ___ (३२) गन्धक, मुरमकी, हींग और गूगल, इन चारोंको महीन पीसकर, आगपर डाल-डालकर गर्भाशयको धूनी देनेसे गर्भ गिर जाता है। अगर इनमें बैलका पित्ता भी मिला दिया जाय, तब तो कहना ही क्या ? (३३) घोड़ेकी लीद योनिके सामने जलाने या धूनी देनेसे जीते हुए और मरे हुए बच्चे फौरन निकल आते हैं। (३४) अनारकी छालकी धूनी योनिमें देनेसे गर्भ गिर जाता है। (३५) निहार मुँह या खाली कलेजे दश माशे शोरा खानेसे गर्भ गिर जाता है। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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