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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा--बाँझका इलाज। ४३३ लेकर, रातको मैथुन करना चाहिये। अगर इस तरह काम न हो, तो चौथेपाँचवें और छठे दिन फिर लेकर तब मैथुन करना चाहिये। सूचना-नं० २७ नुसखा भी कमजोर नहीं है। कहीं-कहीं इससे बड़ा चमत्कार देखने में आया है। "वैद्यविनोद"-कर्त्ताने इसकी जो प्रशंसा लिखी है, सच्ची है। (२८) नागकेशर और सुपारी--इन दोनोंको बराबर-बराबर लेकर पीस-छान लो। इस चूर्णकी मात्रा ३ से ६ माशे तक है। इसके सेवन करनेसे अनेकोंको गर्भ रहा है । परीक्षित है । (२६) पुत्रजीवक वृक्षकी जड़ दूधमें पीसकर पीनेसे दीर्घायु पुत्र होता है । परीक्षित है। . (३०) पुत्रजीवककी जड़ और देवदारु-इन दोनोंको दूधमें पीसकर पीनेसे भी बड़ी उम्र पानेवाला पुत्र होता है। पाँच-सात बार परीक्षा की है । परीक्षित है। (३१) मोथा, हल्दी, दारुहल्दी, कुटकी, इन्द्रायण, कूट, पीपर, देवदारु, कमल, काकोली, क्षीर काकोली, त्रिफला, बायबिडङ्ग, मेदा, महामेदा, सफेद चन्दन, लाल चन्दन, राना, प्रियंगू , दन्ती, मुलहटी, अजमोद, बच, चमेलीके फूल, दोनों तरहके सारिवा, कायफल, बंसलोचन, मिश्री और हींग-इनमेंसे हरेक दवाको एक-एक तोले लेकर पीस-कूटकर छान लो । फिर उस चूर्णको सिलपर डालकर पानीके साथ पीसकर लुगदी बना लो । शेषमें यह लुगदी, एक सेर घी और चार सेर गायका दूध-इनको अच्छी तरह मथ-मिलाकर, कलईदार कढ़ाहीमें चूल्हेपर रखकर, पारने कण्डोंकी मन्दी-मन्दी आगसे पकाओ। जब दूध जलकर घी-मात्र रह जाय, उतारकर छान लो और रख दो। ___ अगर मर्द इस घीको चार तोले या दो तोले रोज़ पीवे, तो लगातार कुछ दिन पीनेसे औरतोंमें साँड हो जाय। अगर बाँझ पीवे तो पुत्र जनने लगे। जिन स्त्रियोंका गर्भ पेटमें न बढ़ता हो, जिनके एक सन्तान होकर फिर न हुई हो, जिनके बालक होते ही मर जाते For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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