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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-बाँझका इलाज। ४२१' (११) गर्भाशयमें सख्त सूजन, रतक या मस्सा पैदा होना। (१२) गर्भाशयका मुँह जननेन्द्रियके सामनेसे हट जाय । इस वजहसे उसमें पुरुषका वीर्य न जा सके। (१३) स्त्रीके शरीर या गर्भाशयमें कोई रोग न होनेपर भी, वीर्यको न ठहरने देनेवाले अन्यान्य कारणोंका होना । ऊपरका खुलासा । - गर्भाशयमें सर्दी, गरमी, खुश्की और तरीका पैदा होना; वातादिक दोषोंका गर्भाशयमें कोप करना; स्त्रीका अत्यन्त मोटा या दुबला होना; बालकके शरीर पोषण-योग्य रजका न बनना; गर्भाशयमें सूजन, रतक या मस्सा पैदा होना; गाढ़ी हवाका पैदा होना या गर्भाशयमें भर जाना और गर्भाशयके मुँहका सामनेसे हट जाना-ये ही बच्चा न होने या गर्भ न रहनेके कारण हैं। और भी खुलासा। (१) गर्भाशयमें सर्दी, गरमी, खुश्की या तरी होना। (२) गर्भाशयमें वात, पित्त और कफका कोप । (३) स्त्रीका मोटा या अत्यन्त दुबलापन । (४) स्त्री-शरीरमें रजका न बनना । (५) गर्भाशयमें गाढ़ी हवाका होना। (६) गर्भाशयमें सूजन, मस्सा या रतक होना । (७) गर्भाशयके मुंहका सामनेसे हट जाना । इन कारणोंसे स्त्री बाँझ हो जाती है। उसे हमल नहीं रहता। ... तेरहों भेदोंके लक्षण और चिकित्सा । .. पहला भेद । कारण-सर्दी। नतीजा-वीर्य और खून जम जाते हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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