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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-बाँझका इलाज । ४१७ सिवा, गर्भाशयके और दोषोंसे भी स्त्री बाँझ हो जाती है । “दत्तात्रयी" नामक ग्रन्थमें लिखा है :-बाँझ तीन तरहकी होती हैं: (१) जन्म-बन्ध्या । (२) मृत-बन्ध्या । (३) काक-बन्ध्या । "जन्म-बन्ध्या" उसे कहते हैं, जिसके जन्म-भर सन्तान नहीं होती । “मृत-बन्ध्या" उसे कहते हैं, जिसके सन्तान तो होती है, पर होकर मर जाती है। “काक-बन्ध्या" उसे कहते हैं, जिसके एक सन्तान होकर फिर और सन्तान नहीं होती। बाँझ होनेके कारण । ऊपर लिखी हुई तीनों प्रकारकी बाँझ स्त्रियाँ, प्रायः फूलमें नीचे लिखे छै दोष हो जानेसे बाँझ होती हैं: (१) फूल या गर्भाशयमें हवा भर जानेसे । (२) फूल या गर्भाशयपर मांस बढ़ आनेसे । (३) फूलमें कीड़े पड़ जानेसे। (४) फूलके वायु-वेगसे ठण्डा हो जानेसे । (५) फूलके जल जानेसे। (६) फूलके उलट जानेसे । कोई-कोई सातवाँ दोष “भूत-बाधा" और आठवाँ "कर्म-दोष" या पूर्वजन्मके पाप भी मानते हैं। ___ फूलमें दोष होनेके कारण । फूलमें दोष हो जानेके कारण तो बहुत हैं, पर मुख्य-मुख्य कारण ये हैं: (१) बचपनकी शादी। (२) छोटी स्त्रीकी बड़े मर्दसे शादी। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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