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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-चन्द्रोदय । K x nu ... , रज-शोधक नुसखा । बबूलका गोंद ३ तोले छोटी इलायचीके दाने .... १ , नागौरी असगन्ध शतावर इन चारों दवाओंको कूट-पीसकर छान लो और रख दो। इस चूर्णकी मात्रा ३ या ४ माशे तक है । एक एक मात्रा सवेरे-शाम फाँककर, ऊपरसे गायका धारोष्ण दूध एक पाव पीओ। जब तक आराम न हो जाय या कम-से-कम ४० दिन तक इस दवाको खाओ। इसके सेवन करनेसे रज निश्चय ही शुद्ध हो जाती है । परीक्षित है। अपथ्यमैथुन और गरम पदार्थ । वीर्य-शोधक नुसखा । सेमरकी मूसली बीजबन्द मखाने तालमखाना सफेद मूसली गुलसकरी कामराज इन सबको कूट-पीसकर कपड़ेमें छानकर रख लो। मात्रा ६ माशेकी है। सन्ध्या-सवेरे एक-एक मात्रा फाँककर, अरसे मिश्रीमिला गायका धारोष्ण दूध पीओ। कम-से-कम ४० दिन तक इस चूर्णको खाओ । अपथ्य-मैथुन, तेल, मिर्च, खटाई वगैरः गरम पदार्थ । परीक्षित है। बाँझोंके भेद । योनिरोग और नष्टार्तव प्रभृति बाँझ होनेके कारण हैं, पर इनके xxxxxxx For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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