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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा--नष्टार्तव । ४११ रजोवती होने लगती है। पाठक इस नुसखेको ज़रूर आज़मावें । विचारसे यह नुसखा उत्तम मालूम होता है । (३३) कुर्स मुरमुकी एक यूनानी दवा है । इसको महीनेमें ३ बार, हर दसवें दिन, खानेसे रज बहने लगता है। अच्छी दवा है। नोट-तज, कलौंजी, हुरमुल, जुन्देबेदस्तर, बायबिडङ्ग, बाबूना, मीठा कूट, कबाबचीनी, हंसराज, ऊद, कुर्समुरमुकी, अजवायन, केशर, तगर, सूखा जूफा, करफस, दोनों मरुवे, चनोंका पानी, अमलताशके छिलके, मोथा और तूरमूस प्रभृति दवाएं हैजका खून या रजोधर्म जारी करनेको हिकमतमें अच्छी समझी जाती हैं। (३४) "इलाजुल गुर्बा' में लिखा है-साफनकी फस्द, ऋतुके दिनोंके पहले, खोलनेसे मासिक-धर्मका खून जारी हो जाता है। __ (३५) तोम्बा, सुर्ख मजीठ, मेथीके बीज, गाजरके बीज, सोयेके बीज, मूलीके बीज, अजवायन, सौंफ, तितलीकी पत्तियाँ और गुड़-- सबको बराबर-बराबर लेकर, हाँडीमें काढ़ा पकाओ । पक जानेपर मलछानकर स्त्रीको पिलाओ । इस योगसे निश्चय ही रुका हुआ रज जारी हो जाता और गर्भ भी गिर पड़ता है । परीक्षित है। . (३६) अखरोटकी छाल, मूलीके बीज, अमलताशके छिलके, परसियावसान और बायबिडङ्ग, इनमेंसे हरेक जौकुट करके नौ-नौ माशे लो और गुड़ सबसे दूना लो । पीछे इसे प्रौटाकर औरतको पिलाओ । इससे गर्भ गिरता और खून-हैज़ जारी होता है। नोट--अनेक हकीम इस नुसत्र में कलैंौजी और कपासकी छाल भी मिलाते हैं। यह नुसखा हमारा आज़मूदा नहीं; पर इसकी सभी दवाएं रजोधर्म कराने और गर्भ गिराने के लिये उत्तम हैं । इसलिये पाठक ज़रूर परीक्षा करें । उनकी मिहनत व्यर्थ न जायगी। (३७) अगर ऋतु होनेके समय स्त्रीको कमरमें दर्द होता हो, तो सोंठ ५ माशे, बायबिडङ्ग ५ माशे, और गुड़ ४० माशे--इन सबको औटाकर स्त्रीको पिलाओ । अवश्य आराम हो जायगा। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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