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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -rrrrrrrr ४१० चिकित्सा-चन्द्रोदय । इन सबको महीन पीस-छानकर, इनके चूर्ण में "सेंहुड़का दूध" मिलाकर छोटी अँगुली-जितनी बत्तियाँ बनाकर, छायामें सुखा लो । इन बत्तियोंमेंसे एक बत्ती, रोज, योनिमें रखनेसे रुका हुआ मासिक-धर्म फिर होने लगता है। _ (३१) जुन्देबेदस्तर ... ... ... ।। माशे नीले सौसनकी जड़ .. ... , पोदीनेका पानी या अर्क ... २ गिलास शहद ... ... ... ... ३१॥ माशे इन सबको मिलाकर रख लो। यह दो खूराक दवा है। इस दवाके दो बार पिलानेसे ही ईश्वर-कृपासे अनेक बार रज बहने लगता है। ( ३२ ) लाल लोबिया ... ... ... १०॥ माशे मेथी दाने ... ... ... १०॥,, रूमी सौफ़ ... ... ... १०॥ ,, मँजीठ ( अधकुचली) ... १४ ,, इन चारों चीजोंको एक प्याले-भर पानीमें औटाओ। जब आधा पानी रह जाय, मल-छान लो और इसमें पैंतालीस माशे “सिकंजबीन" मिलाकर गुनगुना करो और पिला दो । साथ ही, नीचे लिखी दवा योनिमें भी रखाओ:-- बूल __ ... ... ... १४ माशे पोदीना ... ... ... १४ ,, देवदारु ... ... ... २८ .. ततली ... ... ... ३५ ,, मुनक्का (बीज निकाले हुए) ... ७० ,, इन सबको कूट-पीस और छानकर "बैलके पित्ते में मिलाओ । पीछे इसे स्त्रीकी योनिमें रखवा दो । “तिब्बे अकबरी" वाला लिखता है, इस दवासे सात सालका बन्द हुआ खून-हैज़ भी जारी हो जाता है, यानी सात बरससे रजोवती न होनेवाली नारी फिर For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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