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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३६७ स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-नष्टार्तव । ... (२) अजमोदके बोज, रूमी सौंफ, पोदीना, सौंफ और पहाड़ी पोदीना,इनको औटाकर, शहद या कन्दमें माजून बना लो और गाढ़े दोष निकालकर खिलाओ, जिससे खून पतला होकर सहजमें निकल जाय। (३) सोया, दोनों मरुश्रा, पोदीना, तुलसी, बाबूना, अकलोलुलमलिक और सातर,--इनका काढ़ा बनाकर योनिको बफारा दो।। . (४) बालछड़, दालचीनी, तज, हुब्ब, बिलसाँ, जायफल, छोटी इलायची और कूट प्रभुतिसे, जिसमें इत्र पड़ा हो, सेक करो और इन्हीं खुशबूदार दवाओंको प्रागपर डाल-डालकर गर्भाशयको धूनी दो। तीसरा कारण । (३) अगर गर्भाशयकी रगोंके मुँह बन्द हो जानेसे मासिक धर्म होना बन्द हुआ होगा, तो गर्भाशयमें जलन और खुश्की होगी। कारण-(१) गर्भाशयमें नर्मी और खुश्की । (२) अजीर्ण । उपाय-(१) शीरखिश्त, सिमाक, घीयाके बीजोंकी मींगो, खुब्बाजी और सैफको कूटकर, शहद और अण्डेकी ज़र्दी में मिला लो । फिर उसे कपड़ेपर ल्हेसकर; स्त्रीके मूत्र-स्थानपर कई दिनों तक रखो। ____ नोट--जिस तरह गर्भाशयकी रगोंके मुंह गरमीसे बन्द हो जाते हैं, उसी तरह गर्भाशयमें सुकेड़नेवाली सर्दी पैदा होनेसे भी रगोंके मुंह बन्द हो जाते हैं । यद्यपि दुष्ट प्रकृति गर्भाशयमें पैदा होती है, पर उसके चिह्न सारे शरीरमें प्रकट होते हैं, क्योंकि गर्भाशय श्रेष्ठ अंग है । इस दशामें गर्म और मवाद ग्रहण करनेवाली दवा देनी चाहिये, जिससे गर्भाशयमें गरमी पहुँचे; ऐसे नुसखे बाँझ होने के बयानमें लिखे हैं । “बूलकी टिकिया" गर्भाशय नर्म करने में सबसे अच्छी है। बूल १०॥ माशे इस नुसत्र में जो चीज़ घोलनेनिर्विष १७॥ माशे योग्य हों उन्हें घोल लो और जो कूटनेतुलसीके पत्त ७ माशे योग्य हों उन्हें कूट लो। फिर टिकिया पोदीना ७ माशे बना लो । ज़रूरतके माफिक, इसे पहाड़ी पोदीना "देवदारु" के काढ़ेके साथ सेवन मंजीठ हींग करात्रो। यह दवा गर्भाशयका नर्म कुन्दलगोंद करती है । जाबशीर ७ माशे 6 6 6 10y 6 ७ माशे For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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