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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८४ चिकित्सा-चन्द्रोदय । ___ (७) ढाककी कोंपलें या कलियाँ लाकर छायामें सुखा लो। सूखनेपर पीस-छान लो और बराबरकी पीसी हुई मिश्री मिलाकर रख दो। इसमें से एक मात्रा चूर्ण रोज सात दिन तक खाओ । सात दिन बाद साफ मालूम हो जायगा कि, योनि तंग हो गई । अगर कुछ कसर हो, तो और भी कई दिन खाओ। मात्रा-सवा दो माशेसे नौ माशे तक। अनुपान-शीतल जल । (८) सूखी बीरबहुट्टी घीमें पीसकर भगमें मलनेसे भग तंग हो जाती है। (६) बकायनकी छाल लाकर सुखा लो । फिर पीस-छानकर रख लो । इसमेंसे कुछ चूर्ण रोज़ भगमें रखनेसे भग तंग हो जाती है। (१०) खट्टे पालकके बीज कूट-छानकर भगमें रखनेसे भी योनि सुकड़ जाती है। (११) इमलीके बीजोंकी गिरी कूट-छानकर रख लो। सवेरेशाम इस चूर्णको भगमें मलनेसे भग तङ्ग हो जाती है। (१२) समन्दर-झाग और हरड़के बीजोंकी गिरी बराबर-बराबर लेकर पीस लो । इस चूर्णको भगमें रखनेसे भग तङ्ग हो जाती है। (१३) चीनिया गोंद छै माशे लाकर महीन पीस लो और दो तोले फिटकरी लाकर भून लो । जब फिटकरी भुनने लगे और उसका 'पानी-सा हो जाय, उस फिटकरीके पतले रसपर, पिसे हुए गोंदको पानीमें मिलाकर छिड़को। जब शीतल हो जाय पीसो । इसके बाद इसमें जरा-सा "गुलधावा" मिला दो और फिर सबको पीसो । इस दवाको योनिमें रखनेसे अद्भुत चमत्कार नज़र आता है। ."इलाजुलगुर्बा' के लेखक महोदय इसे अपना आजमाया हुआ बताते हैं। (१४) बेंतकी जड़को मन्दाग्निसे पानीके साथ पकाकर - For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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