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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३४८. चिकित्सा-चन्द्रोदय ।। नोट--कपासकी जड़ चाँवलोंके धावनमें घिसकर पीने से भी श्वेत प्रदर नाश हो जाता है । परीक्षित है। (२०) काकमाचीकी जड़ चाँवलोंके धोवनमें घिसकर पीनेसे प्रदर रोग आराम हो जाता है । परीक्षित है। ___ (२१) भिण्डीकी जड़ सूखी हुई दस तोले और पिंडारू सूखा हुआ दस तोले लाकर, पीस-कूटकर छान लो । इसमें से 2-छै माशे चूर्ण, पाव-भर गायके दूधमें एक तोले मिश्री मिलाकर मैं हमें उतारो। इस चूर्णको सवेरे-शाम सेवन करो । अगर कभी दूध न मिले, तो हर मात्रामें जरा-सी मिश्री मिलाकर, पानीसे ही दवा उतार जाओ। प्रदर रोगपर परीक्षित है। नोट-कितनी ही श्वेत प्रदरवाली जो किसी भी दवासे आराम न हुई, इससे १६१२० दिनोंमें ही आराम हो गई। कितनी ही बार परीक्षा की है। (२२) सफ़ेद चन्दन, जटामांसी, लोध, खस, कमलकी केशर, नाग-केशर, बेलका गूदा, नागरमोथा, सोंठ, हाऊबेर, पाढी, कुरैयाकी छाल, इन्द्रजौ, अतीस, सूखे आमले, रसौत, आमकी गुठलीकी गिरी, जामुनकी गुठलीकी गिरी, मोचरस, कमलगट्टे की गिरी, मँजीठ, छोटी इलायचीके दाने, अनारके बीज और कूट-इन २४ दवाओंको अढ़ाई-अढ़ाई तोले लेकर, कूट-पीसकर कपड़ेमें छान लो। समयसवेरे-शाम पीओ। मात्रा ६ माशेसे दो तोले तक । अनुपानचाँवलोंके धोवनमें एक-एक मात्रा घोट-छानकर और एक माशे "शहद" मिलाकर रोज पीओ। इस नुसनेके १५ या २१ दिन पीनेसे प्रदर रोग अवश्य आराम हो जाता है। १०० में ८० रोगी आराम हुए हैं। परीक्षित है। . ( २३ ) मुद्गपर्णीके रसके साथ तिलीका तेल पकाओ। फिर उस. तेलमें कपड़ेका टुकड़ा भिगोकर योनिमें रखो और इसी तेलकी बदनमें मालिश करो । इस नुसखेसे खूनका बहना बन्द होता और बड़ा आराम मिलता है । परीक्षित है। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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