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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३१६ चिकित्सा-चन्द्रोदय । अर्कक्षीरयुतं चास्य योज्यमाशु विरेचनम् । आकका दूध-मिला हुआ जुलाब कुत्ते के काटे हुएको जल्दी ही देना चाहिये । नोट-श्राकका दूध, तिलका तेल, तिलकुट, गुड़, धतूरेकी जड़ और सफ़ेद पुनर्नवा--विषखपरा--ये सब कुत्ते के काटेको परम हितकारी हैं। ..... ... ........... o चन्द अपने-पराये परीक्षित उपाय । ... .... . .... अभी गत वैशाख सं० १६८० में, हम अपनी कन्याकी शादी करने मथुरा गये थे। हमारे पासके घरमें एक मनुष्यको कुत्तेने काटा। हमारे यहाँ, कामवनसे, हमारे एक नातेदार आये थे। उन्होंने कहा, कि नीचे लिखे उपायसे अनेक मनुष्य पागल कुत्तेके काटनेपर आराम हुए हैं। इसके सिवा, हमने उनके कहनेसे पहले भी इस उपायकी तारीफ़ दिहातके लोगोंसे सुनी थी:-- पहले कुत्ते के काटे स्थानपर चिरागका तेल लगाओ । फिर लाल मिर्च पीसकर जख्ममें दाब दो। ऊपरसे मकड़ीका जाला धर दो और वहाँ कसकर पट्टी बाँध दो। इस उपायको औरतें भी जानती हैं। यह उपाय बहुत कम फेल होता है । “वैद्यकल्पतरु" में एक सज्जन लिखते हैं:-- (१) पागल कुत्ते के काटते ही, उसके काटे हुए भागको काटकर जला दो। (२) विष दूर हो जानेपर, रोगीको खानेके लिये स्नायु शिथिल करनेवाली दवाएँ--अफीम, भाँग या बेलाडोना प्रभृति दो । . (३) अगर कुत्तेका काटा हुआ आदमी अधिक अफीम पचाले, तो उससे विषके कीड़े निकल जावें और रोगी बच जावे। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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