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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३०६ चिकित्सा-चन्द्रोदय । ..(२) अंगूरकी लकड़ीकी राख सिरके में मिलाकर लेप करो। (३) सौसनकी जड़को सिरकेमें पीसकर लेप करो।। (४) सौंफकी जड़की छालको शहद में पीसकर लेप करो। (५) गन्दाबिरोज़ा, जैतून, मोम और मुर्गेकी चर्बी-इन सबको मिलाकर मल्हम बना लो। इसका नाम “काली मल्हम" है। इसके लगानेसे भूखे आदमीका काटा हुआ भी आराम हो जाता है। ___ नोट-भूखे अादमोका काटना बहुत ही बुरा होता है। (६) अगर काटी हुई जगह सूज जाय, तो मुर्दासंगको पानीमें पीसकर लेप कर दो। (७) बाकलेका आटा, सिरका, गुले रोगन, प्याज, नमक, शहद, और पानी,-इनमेंसे जो-जो मिलें, मिलाकर काटे स्थानपर लगा दो । (८) गोभीके पत्ते शहद में पीसकर लगानेसे आदमीका काटा हुआ घाव आराम हो जाता है। नोट-ऊपर जितने लेप आदि लिखे हैं, वे सब साधारण अादमीके काटने पर लगाये जाते हैं। भूखे श्रादमीके काटनेसे ज़ियादा तकलीफ़ होती है। बावले कुत्ते के काटे हुए श्रादमीका काटना, तो बावले कुत्ते के काटनेके ही समान है; श्रतः वैसे आदमीसे खूब बचो। अगर काट खाय, तो वही इलाज करो, जो बावले कुत्ते के काटने पर किया जाता है। MARRIMARRIERRIERRIERREAK छिपकलीके विषकी चिकित्सा। XAMINEMAHANEYAMAMRITAINIK NEXTe% स्कृतमें छिपकलीको गृहगोधिका कहते हैं। छिपकलीके स काटनेसे जलन होती है, सूजन आती है, सूई चुभानेHorse का-सा दर्द होता और पसीने आते हैं । ये लक्षण "चरक" में लिखे हैं। हिकमत के ग्रन्थों में लिखा है, छिपकलीके काटनेसे घबराहट और For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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