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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मगर मछली प्रभृतिके काटेकी चिकित्सा । ३०५ नोट-नौला भी कुत्ते की तरह कभी-कभी बावला हो जाता है। बावला नौला जिसे काटता है, वह भी बावला हो जाता है। अगर ऐसा हो, तो वही दवा करो जो बावले कुत्ते के काटने पर की जाती है। - नदीका कुत्ता, मगर और काली * मछली श्रादिके काटेका इलाज। (१) नमक रूईमें भरकर घावपर लगाओ। (२) पपड़िया नोन शहदमें मिलाकर घावपर लगाओ। (३) बतख और मुर्गीकी चर्बी लगाओ। (४) चर्बी, मक्खन और गुले रोग़न मिलाकर लगाओ। नोट--ऐसे जीवोंके काटनेपर मवाद साफ़ करने और निकालनेवाली दवाएँ लगानी चाहिये। (५) अंकोलके पत्तोंकी धूनी देनेसे अत्यन्त दुःसाध्य मछलीके डंककी पीड़ा भी शान्त हो जाती है । (६) कड़वा तेल, सत्तू और बाल-इनको एकत्र पीसकर धूनी देनेसे मछलीका विष दूर हो जाता है। (७) तेलमें इन्द्रजौ पीसकर लेप करनेसे मछलीके डंककी पीड़ा शान्त हो जाती है। 0.00 ०००40000 ००००००500000000000.. nec000000000 Mongoos 00*80030000...aaaas.००%80-800 ०००. aaaa 00000000030008 ठू आदमीके काटेका इलाज।४ 900000000१०० Emmy दमीके काटने या उसके दाँत लगनेसे भी एक तरहका विष १ चढ़ता है; अतः हम चन्द उपाय लिखते हैं:(१) जैतूनके तेलमें मोम लगाकर काटे हुए स्थानपर लेप करो। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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