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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६४ चिकित्सा-चन्द्रोदय । (४) मधूलिका ... गेहूँके रंगकी या मधु-मक्खी । . (५) काषायी ... भगवाँ रंगकी मक्खी। (६) स्थालिका ... .. . ... ... कान्तारिका आदि पहली चार प्रकारकी मक्खियोंके काटनेसे सूजन और जलन होती है, पर काषायी और स्थालिकाके काटनेसे उपद्रवयुक्त फुन्सियाँ होती हैं। . . "चरक" में लिखा है, पहली पाँचों प्रकारकी मक्खियोंके काटनेसे सत्काल फुन्सियाँ होती हैं। उन फुन्सियोंका रंग श्याम होता है। उनसे मवाद गिरता और उनमें जलन होती है तथा उनके साथ मूर्छा और ज्वर भी होते हैं । परन्तु छठी स्थालिका या स्थगिका मक्खी तो प्राणोंका नाश ही कर देती है। नोट--इन मविखयोंमें घरेलू मक्खियाँ शामिल नहीं हैं । वे इनसे अलग हैं। ऊपरकी छहों प्रकारकी मक्खियाँ ज़हरीली होती हैं। 35 मक्खी भगानेके उपाय । हिकमतके ग्रन्थों में मक्खियोंके भगानेके ये उपाय लिखे हैं:(१) हरताल और नकछिकनीकी धूआँ करो। (२) पीली हरताल दूधमें डाल दो; सारी मक्खियाँ उसमें गिरकर मर जायेगी। (३) काली कुटकीके काढ़ेमें भी नं० २ का गुण है। . 080309090909090980 • मक्खी-विषनाशक नुसखे । ÕB0303030303688980 (१) काली बाम्बीकी मिट्टीको गोमूत्र में पीसकर लेप करनेसे चींटी, मक्खी और मच्छरोंका विष नष्ट हो जाता है। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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