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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मूषक - विषनाशक नुसखे । - २८६ (ङ) सिरस के बीज, नीमके पत्ते और करंजु के बीजोंकी गिरी इन सबको बराबर के गायके मूत्र में पीसकर गोली बना लो । जुरूरतके समय, गोलीको पानी में घिसकर लेप करो । (च) सिरस, हल्दी, कूट, केशर और गिलोय, - इनको पानी में पीसकर लेप करो । नोट --ख से च तकके नुसख परीक्षित हैं । (छ) काली निशोथ, सफ़ेद गोकर्णी, बेल-वृक्षकी जड़ और गिलोयको पीसकर लेप करो । ( ज ) घरका धूआँ, मजीठ, हल्दी और सेंधानोनको पीसकर लेप करो । (झ) बच, हींग, बायबिडङ्ग, सेंधानोन, गजपीपर, पाठा, अतीस, सोंठ, मिर्च और पीपर - यह "दशाङ्ग लेप" है। इसको पानी में पीस - कर लगाने और इसका कल्क पीनेसे समस्त जहरीले जीवोंका विष नष्ट हो जाता है । मूषक - विषपर यह लेप परीक्षित है । खाने-पीने की औषधियाँ । ( ४ ) सिरसकी जड़को शहद के साथ या चाँवलों के जलके साथ या बकरीके मूत्र के साथ पीनेसे चूहेका विष नाश हो जाता है । परीक्षित है । (५) अंकोलकी जड़का कल्क बकरीके मूत्रके साथ पीनेसे चूहेका विष शान्त हो जाता है । (६) इन्द्रायणकी जड़, अङ्कोलकी जड़, तिलोंकी जड़, मिश्री, शहद और घी - इन सबको मिलाकर पीने से चूहेका दुस्तर विष उतर जाता है | परीक्षित हैं । (७) कसूम के फूल, गायका दाँत, सत्यानाशी, कटेरी, कबूतर की बीट, दन्ती, निशोथ, सेंधानोन, इलायची, पुनर्नवा और राव – इन सबको एकत्र मिलाकर, दूधके साथ पीनेसे चूहेका विष दूर होता है । ३७ For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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