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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७४ चिकित्सा-चन्द्रोदय । ___ (८६) काली तुलसीका रस और नमक मिलाकर, दो-तीन बार लगानेसे बिच्छू और साँपका विष उतर जाता है। जहरीले जानवरोंके विषपर तुलसी रामवाण है। नोट-तुलसीका रस लगानेसे काले भौरे और बरं वारःका काटा हुआ श्राराम हो जाता है। कानमें एक या दो बूंद तुलसीका रस डालने और तुलसीका हो रस शहद और नमक मिलाकर पीनेसे कानका दर्द आराम हो जाता है। सेंधानोन और काली तुलसीका रस, ताम्बेके बरतनमें गरम करके, नाकमें चारछै बार डालनेसे नाकसे बदबू वारः अाना बन्द हो जाता है। तुलसीका रस ३० बूंद, कच्चे कपासके फूलोंका रस २० बूंद, लहसनका रस ३० बूंद और मधु १॥ डाम--इनको मिलाकर कानमें डालनेसे कानका दर्द अवश्य नाश हो जाता है। * मूषक-विष चिकित्सा। लापरवाहीका नतीजा-प्राणनाश । HARYAN जकलके पाश्चात्य डाक्टर साँप और बावले कुत्ते प्रभृति आ जहरीले जानवरोंके काटे हुए मनुष्योंकी प्राणरक्षाकी HXXX जितनी फिक्र या खोज करते या कर रहे हैं, उसकी शतांश फिक्र भी इस छोटेसे जीव-चूहेके विषसे प्राणियोंको बचानेकी नहीं करते, यह बड़े ही खेदकी बात है। सर्व-साधारण इसको मामूली जानवर समझकर, इसके विषकी भयंकरता और दुर्निवारता न जाननेके कारण, इसके काटनेकी उतनी परवा नहीं करते, यह भारी नादानी है। सर्प-बिच्छू प्रभृतिके काटनेपर, उनका विष फौरन ही भयंकर वेदना करता और चढ़ता है, अतः लोग सुचिकित्सा होनेसे बहुधा बच भी जाते हैं; पर जहरीले चूहोंका विष प्रथम तो उतनी तकलीफ नहीं देता; दूसरे, अनेक बार मालूम भी नहीं होता कि, हमारे शरीरमें चूहेका विष प्रवेश कर गया है। तीसरे, चूहेके विषके खून में मिलनेसे For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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