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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-चन्द्रोदय । . (५) हल्दी, दारुहल्दी, सैंधानोन और घी,--इन सबको एकत्र पीसकर, लेप करनेसे कनखजूरेका जहर उतर जाता है । परीक्षित है। नोट--अगर कनखजूरा चिपट गया हो, तो उसपर चीनी डाल दो, छुटजायगा अथवा उसके सामने ताज़ा मांसका टुकड़ा रख दो । (६) “तिब्बे अकबरी" में लिखा है, कनखजूरको ही कूटकर उसकी काटी हुई जगहपर रखनेसे फौरन आराम होता है। (७) "तिब्बे अकबरी' में लिखा है:--जरावन्द, तबील, पाषाणभेद, किनकी जड़की छाल और मटरका आटा-समान भाग लेकर, शराब या शहद पानीमें मिलाकर कनखजूरेके काटे आदमीको खिलाओ। (८) तिरयाक, अरवा, दबाउल मिस्क, संजीरनिया, नमक और सिरका,-इनको मिलाकर दंश-स्थानपर लेप करो । ये सब चीजें अत्तारोंके यहाँ मिल सकती हैं। नोट-दबाउल मिस्क किसी एक दवाका नाम नहीं है । यह कई दवाएँ मिलानेसे बनती है। - बिच्छू-विष-चिकित्सा। बिच्छू-सम्बन्धी जानने-योग्य बातें । == श्रुत" में साँप, बिच्छू प्रभृति जहरीले जानवरोंके सम्बन्धमें ISS सुजितना कुछ लिखा है उतना और किसी भी आचार्य ने == नहीं लिखा । हमारे आयुर्वेदमें तीस प्रकारके बिच्छू लिखे हैं । महर्षि वाग्भट्टने भी उनकी तीन किस्में मानी हैं:-- (१) मन्द विषवाले। . : ..... (२) मध्यम विषवाले। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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