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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir OctOS ८०.०००००000.000 000०.००% .0 Fola 900.000 .3000१४०० booo God oto . 00000000033000 '.... .. गुहेरेके विषकी चिकित्सा।। Son0000000 ०.०० ....nosa30 00032000 OC वर्णन । KALK हेरे पाँच तरहके होते हैं । इसका विष सर्पकी *गु अपेक्षा भी मारक होता है । “सुश्रुत" में लिखा है, प्रतिNR सूर्य, पिङ्गभास, बहुवर्ण, महाशिरा और निरूपम इस तरह पाँच प्रकारके गुहेरे होते हैं । गुहेरेके काटनेसे साँपके समान वेग होते तथा नाना प्रकारके रोग और गाँठे या गिलटियाँ हो जाती हैं । इसको बहुत कम लोग जानते हैं, क्योंकि यह जीव बहुत कम पैदा होता है । यह घोर बनोंमें होता है। सुश्रुतके टीकाकार डल्लन मिश्र लिखते हैं: कृष्णसर्पण गोधायां भवेद्यस्तु चतुष्पदः । सपो गौधेरको नाम तेन दष्टोन जीवति ॥ काले साँप और गोहके संयोगसे गुहेरा पैदा होता है । इसके चार पैर होते हैं । इसका काटा हुआ नहीं जीता। वाग्भट्टमें लिखा है:-- गोधासुतस्तु गौधेरो विषे दर्वीकरैः समः । गोहका पुत्र गुहेरा होता है और विषमें वह दर्बीकर साँपोंके समान होता है। - गुहेरा गोहके जैसा होता है। गोहपर काली-काली लकीरें नहीं होती; पर इसपर काली-काली धारियाँ होती हैं। इसकी जीभ सर्पके जैसी बीचमेंसे फटी हुई होती है और यह जीभ भी सर्पकी तरह ही निकालता है। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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