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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४४ चिकित्सा-चन्द्रोदय । (७०) कालीमिर्चोंके साथ गरम-गरम घी पीनेसे साँपका ज़हर उतर जाता है। नोट--अगर समयपर और कुछ उपाय जल्दीमें न हो सके, तो इस उपायमें तो न चूकना चाहिये । यह उपाय मामूली नहीं, बड़ा अच्छा है और ये दोनों चीजें हर समय गृहस्थके घरमें मौजूद रहती हैं। (७१) शून्यताका ध्यान करनेसे भी साँपका जहर शून्य भावको प्राप्त होता है। यानी जरा भी नहीं चढ़ता । यद्यपि इस बातकी सचाईमें जरा भी शक नहीं, पर ऐसा ध्यान--ध्यानके अभ्यासीके सिवाहर किसीसे हो नहीं सकता। (७२) बायें हाथकी अनामिका अँगुली द्वारा कानके मैलका लेप करनेसे भयंकर विष नष्ट हो जाता है । चक्रदत्तने लिखा है: श्लेष्मणः कर्णजातस्य वामानामिकया कृतः । लेपो हन्याद्विषं घोरं नृमूत्रासेचनंतथा ॥ बायें हाथकी अनामिका अँगुली द्वारा कानके मैलका लेप करने और आदमीका पेशाब सींचनेसे साँपका घोर विष भी नष्ट हो जाता है। नोट-कानके मैलका लेप करनेकी बात तो नहीं जानते, पर यह बात प्रसिद्ध है कि, साँप वग़रःके काटते ही अगर मनुष्य काटी हुई जगहपर तत्काल पेशाब कर दे, तो घोर विषसे भी बच जाय । हाँ, एक बात और हैबंगसेनमें लिखा है: श्लेष्मणः कर्णरूढस्य वामतो नासिकां कृतः । नृमूत्रं सेवितं घोरं लेपो हन्याद्विषं तथा ॥ कानके मैलको नाककी बायीं ओर (?) लेप करनेसे और मनुष्यका पेशाब सेवन करनेसे घोर विष नष्ट हो जाता है। (७३) सिरसके पत्तोंके स्वरसमें, सँहजनेके बीजोंको, सात दिन तक भावना देनेसे साँपके काटेकी उत्तम दवा तैयार हो जाती है। यह दवा नस्य, पान और अञ्जन तीनों कामोंमें आती है। वृन्दकी लिखी हुई इस दवाके उत्तम होने में जरा भी शक नहीं। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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