SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 160
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विष- उपविषोंकी विशेष चिकित्सा "अफीम” । १२६ के विकार नाशक पदार्थ खिलाओ। अगर आदमी बेहोश हो, तो स्टमक-पम्पसे ज़हर निकालो ।। अगर एकदम बेहोश हो, तो बिजली लगाओ। अगर इससे भी लाभ न हो, तो कृत्रिम श्वास चलाओ । (२२) " तिब्बे अकबरी' में लिखा है: (क) सोया और मूली के काढ़े में शहद और नमक मिलाकर पिलाओ और क्रय कराओ । ( ख ) तेज़ दस्तावर दवा दो । - ( ग ) तिरियाक मसरुदीतूस सेवन कराओ । (घ) हींग और शहद घोले जलमें दालचीनी और कूट मिलाकर पिलाओ। (ङ) कालीमिर्च, हींग और देवदारु महीन कूटकर एक-एक गोली के समान खिलाओ । (च) तिरिया अरवा, अकरकरा और जुदेबेदस्तर लाभदायक हैं। (छ) जुन्देवेदस्तर सुँघाओ । कूटका तेल सिरपर लगाओ । हो सके तो शरीरपर भी ज़रूर मालिश करो । (ज) शराब में अकरकरा, दालचीनी और जुन्दे वेदस्तर - घिसकर पिलाओ। सिरपर गरम सिकताव करो। गरम माजून और कस्तूरी दो । यह हकीम खजन्दी साहबकी राय है । (झ) खाने-पीने की चीज़ोंमें केशर और कस्तूरी मिलाकर दो । जुलाब में तिरियाक और निर्विषी मिलाकर खिलाओ। सरू के फल, राई और अञ्जीर खिलाना भी हितकारी है । यह हकीम बहाउद्दीन साहबकी राय है । (ञ) अगर अफीम खानेवाला बेहोश हो, तो छींक लानेवाली दवा सुँघाओ, शरीरको मलो और पसीने लानेवाली दवा दो । (२३) बड़ी कटेरी के रसमें दूध मिलाकर पीने से अफीमका विष उतर जाता है । १७ For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy