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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-चन्द्रोदय । (६) काले धतूरके पत्ते चार तोले, सफ़ेद चिरमिटी चार तोले और सफेद कनेरकी जड़की छाल चार तोले-इन तीनोंको महीन पीसकर, सरसोंके पाव-भर तेल में मिलाकर, तेलको मन्दी-मन्दी आगपर औटाओ। जब ये दवाएँ जल जायँ, इन्हें उसी तेलमें घोटकर मिला दो । इस तेलके रोज जोड़ोंपर मलनेसे, पक्षाघात रोग नाश होकर, कामदेव खूब चैतन्य होता है । (१०) शुद्ध काले धतूरेके बीज २ रत्ती और शुद्ध कुचला २ रत्ती-- इनको पानमें रखकर खानेसे अपतंत्रक रोग नाश हो जाता है। (११) काले धतूरके फल, फूल, पत्ते और जड़-सबको कुचलकर, चिलममें रखकर, तमाखूकी तरह पीनेसे हिचकी और श्वास आराम हो जाते हैं। (१२) काले धतूरेका फल और कुड़ेकी छाल बराबर-बराबर लेकर, काँजी या सिरकेमें पीसकर, नाभिके चारों ओर लगानेसे घोर शूल आराम हो जाता है। (१३) काला धतूरा, अरण्डकी जड़, सम्हालू , पुनर्नवा,सहँजनेकी छाल और राई--इनको बराबर-बरावर लेकर, पानीमें पीसकर गरम करो और हाथी-पाँव या श्लीपदपर लेप करो; अवश्य आराम होगा। (१४) धतूरके पत्ते, भाँगरा, हल्दी और सेंधानोन-बराबर-बराबर लेकर पानीमें पीस लो और गरम करके फोड़ेपर लगा दो; फोड़ा फौरन फूट जायगा। (१५) धतूरे के पत्ते ६ माशे, खानेके पान ६ माशे और गुड़ १ तोले,--इन तीनोंको महीन पीसकर पाव-भर जलमें छान लो और पी जाओ । इस शर्बतसे तिजारी और चौथैया ज्वर नष्ट हो जाते हैं। (१६ ) शनिवारकी शामको, जंगलमें जाकर काले धतूरेको न्योत आओ । न्योतनेसे पहले घी, गुड़, पानी और भागसे उसकी 'पूजा करो और कहो--“हे महाराज! कल आकर हम आपको For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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