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________________ S Maham An Kende Acharya kaila n mandi सान्वय भाषान्तर ॥२८॥ चंद्रयशःद आत्मानु, हस्तिराजनु, तथा नीचे रहेला सैन्यसमूह अथवा बख्तरचं रक्षण कयु. (तलवर्ग एटले धनुर्घरोनु चामडा मुंबखतर) चरित्रं | स तु निर्नाशयामास मार्गणानां गणैः क्षणात् । मद्दलं सकलं भानुर्भचक्रमिव भानुभिः॥८७॥ अन्वया-भानुः भानुभिः भचक्र इव, सातु मार्गणानां गणैः सकलं मनलं क्षणात निर्माशयामास. ॥८७॥ ॥ २८॥ अर्था-(पछी) सूर्य (पोताना) किरणोपडे जेम ताराओना समृहनो (नाश करे छे) तेम तेणे तो बाणोना समहोबडे मारा सर्व सैन्यनो क्षणवारमा विनाश करी नाख्यो. ॥ ८७ ।। । यद्यदस्त्रं मयामोचि तत्तदेष क्षणादपि । छेकश्चिच्छेद सद्यस्कं भवत्कमेव केवली ॥८८॥ अन्वयः-मया यत् यत् अत्र अमोचि, तत् तत् छेकः एषः, केवली सद्यस्कं भवत्कर्म इव क्षणात् अपि चिच्छेद. ॥ ८८॥ अर्थ:-में जे जे शस्त्र फेंकयु, ते ते शखने ते चालाक शत्रुए, केवली जेम तुरत भवोपनाही कर्मने छेदे, तेम क्षणवारमा छेदी नाख्यु. ॥८॥ पतत्यथ तदस्त्रातें गजे क्षीणाखिलायुधः । अस्त्रयन्मुष्टिमुत्प्लुत्यागमं तदिभमूर्धनि ॥ ८९॥ अन्वयः-अथ तत् अख आर्ते गजे पतति, क्षीण अखिल आयुधः, मुष्टिं अस्रयन् उत्प्लुत्य तत् इभ मूर्धनि आगमं ॥८९॥ अर्थ:-पछी तेना शस्रोनी वेदनाथी (मारो) हाथी पड्याचाद, सर्व शस्त्रो खलास यइ जवाथी, मूठीने शत्ररूप करी, उछळीने का (९) तेना हाथीना मस्तकपर आव्यो. ।। ८९ ।। For Private And Personal Use Only
SR No.020143
Book TitleChandrayash Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhamansuri
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1928
Total Pages39
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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