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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१२) रतन पुरी नयरी धणीए, पंदरमो भगवंत ॥ रुपविजयनो साहिबो, केवल कमला कंत ॥ ३ ॥ इति ॥ ॥ बीजु.॥ ॥ विजय विमान थकी चव्या, रत्नपुरे अवतार ॥ धर्मनाथ गण देवता, कर्क राशि मनोहार ॥ १॥ जनम्या पुष्य नक्षेतरें, योनि छाग विचार ॥ दोय वरस छद्मस्थमां विचर्या धर्म दयाळ ॥ २ ॥ दधिपर्णाधो केवलीए, वोर वरया बहु रिद्ध ॥ कर्म खपा बीने हुवा, अडसय साथे सिद्ध ॥ ३ ॥ इति ॥ ॥श्री शांतिनाथजीनु चैत्यवंदन ॥ ॥ सारथ सिद्धे थकी, चविया शांति जिणेश ॥ इस्ति नागपुर अवतर्या, योनि हस्ति विशेष ॥१॥ मानव गण गुणवंतने, मेष राशि मुविलास ॥ भरणीए जनम्या प्रभु, छद्मस्था इगवास ॥२॥ केवल नंदी तरुतलए, पाम्या अंतर झाण ।। वीर करमने क्षय करी, नव शतशुं निर्वाण ॥३॥ इति ।। ॥ बोजु.॥ ।। जय जय शांति जिणंद देव, हथ्यिणापुर स्वामी, विश्वसेन कुलचंद सम, प्रभु अंतरजामी ॥ १ ॥ अधिरा उर सर हंस जिम, जिनवर जयकारी ।। मारो रोग निवारके, कीर्ति विस्तारी ॥ २ ॥ शोलमा जिनवर प्रणसीय ए, नित उठी नामी सीस ॥ मुनर भूत प्रसन्न मन, नमनां वाधे जगदीश ॥ ३ ॥ इति ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020138
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnath Lumbaji
PublisherPorwal and Company
Publication Year1925
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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