SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 81
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वर्गशब्दः ९३४ वर्णनं वर्गशब्दः (पुं०) प्रत्येक वर्ग शब्द, कवर्ग, चवर्ग, आदि के शब्द। (जयो०वृ० १/२४) शब्द संग्रह। (जयो०वृ० १/२४) 'वर्गशब्दस्य जात्यर्थकत्वात्' (जयो०वृ० १/२४) वर्गशिरः (पुं०) समूह में अग्रणी। वर्गः समूहस्तस्य शिरांसि मस्तकानि। (जयो०वृ० १/६९) वर्गीय (वि०) [वर्ग+छ] प्रवर्ग से सम्बन्धित, समूह से जुड़ा हुआ। वर्य (वि०) [वर्गे भवः यत्] एक ही श्रेणी का। वर्यः (पुं०) सहयोगी, सहपाठी। वर्च् (अक०) चमकना, प्रकाशित होना, कान्तिगत होना। वर्चस् (नपुं०) [व+असुन्] ०शक्ति, बल, वीर्य। ०प्रभा, कान्ति, आभा। रूप, आकृति। विष्ठा, मल। वर्चस्कः (पुं०) [वर्चस्+कन्] प्रभा, कान्ति, प्रकाश, आभा, तेज। ०वीर्य, बलु, शक्ति। वर्चस्मिन् (वि०) [वर्चस्+विनि] ओजस्वी, शक्तिशाली, सक्रिय। तेजस्वी, प्रकाशवान्, उज्ज्वल। वर्जः (पुं०) [वृ+घञ्] त्याग, परित्याग, छोड़ना। वर्जनं (नपुं०) [वृ+ल्युट्] त्याग, परित्याग, छोड़ना, विसर्जन, । परिमुंचन। तिलांजलि, बहिष्करण। ०क्षति, हानि, चोट, हत्या। वैराग्य। वर्ज (अव्य०) निकालकर, त्यागकर, बाहर करके, निष्क्रान्त। वर्जित (भू०क०कृ०) [वृज्+क्त] विसर्जित, नि:सरित। ०परित्यक्य, उत्सृष्ट, बहिष्कृत। वंचित, विरहित। ०हीन, निम्न। वर्ण्य (वि०) [वृज्+ण्यत्] छोड़ने योग्य, बहिष्कृत किये जाने योग्य। वर्ण (सक०) वर्णन करना, व्याख्यान करना, प्रतिपादित करना, चित्रित करना। ०कथन करना, निरूपण करना। 'वर्णी वर्णयते किलाक्ष विषयान्' (मुनि० ३३) वर्णः (पुं०) वर्ण, शब्द, अक्षर। ०ककार, कवर्ग। (जयोवृ० १/४८) ब्राह्मणादिवर्ण (जयो०वृ० १/४८) वर्णानां ब्राह्मणादीनाम्' (जयो०वृ० १/५१) ० श्रेणी, जाति, वर्ग। ०वंश, प्रकार, जातिभेद। ख्याति, प्रसिद्धि, कीर्ति, विभूति। प्रशंसा, यश। रूप, आकृति, छवि। (जयो०वृ० ११/९६) रंग, रोगन। ०सौंदर्य, लावण्य। ०सजावट, वेशभूषा। अक्षर, ध्वनि, कवर्गादि वर्ण। आवरण, चादर, दुपट्टा। ०ढक्कन, चपनी। गुण, धर्म। वर्ण (नपुं०) केसर, जाफरान। वर्णक (वि०) श्रेणीगत, वर्ग गत। वर्णकर (वि०) ब्राह्मणादि वर्ण करने वाला। वर्णकालः (पुं०) वर्णनकाल। प्रस्तुति समय। वर्णकूपिका (स्त्री) दबात, स्याहीपात्र। वर्णक्रमः (पुं०) परम्परागत, एक वर्ण युक्त, वर्ण व्यवस्था। वर्णवृति (पुं०) चित्रकार, कलाकार। ०वर्णमाला, कवर्ग क्रम। वर्णचारकः (पुं०) चितेरा। वर्णचारिन् (वि०) वर्ण के अनुसार विचरण करने वाला, वर्ण व्यवस्था का अनुसरण करने वाला। वर्णचेष्टा (स्त्री०) रूपसम्पदा की इच्छा। (जयो० ११/९६) वर्णज्येष्ठः (पुं०) वर्ण में प्रमुख। वर्णतूलिः (स्त्री०) कूची, तूलिका, रंगकर्मी की कूची। वर्णद (वि०) रंग साज। वर्णदं (नपुं०) दारु लकड़ी। वर्णदात्री (स्त्री०) हल्दी, हरिद्रा। वर्णदूतः (पुं०) पत्र, संदेश। वर्णधर्मः (०) विशिष्ट कर्त्तव्य। वर्णनं (नपं०) [वर्ण+ल्यूट] वर्णन. कथन.विवेचन, निरूपण प्रतिपादन, विवेचन। (जयो० ६/८५) रूपं प्रविघ्नमिति तस्य च वर्णने कः (सुद० १३४) चित्रण, आलेखन, चित्रांकन। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy