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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वननिवासकरः ९२८ वनिता वननिवासकर: (पुं०) दावैकनाथ। (जयो०वृ० १/३७) वनपजातः (पुं०) मालिपुत्र, मालाकारतनय। (जयो० ६/७१) वनपाठः (पुं०) वनरक्षक, (जयो०वृ० १/९०) मालाकार, माली। (जयो० १/७८) वनपांसुलः (पुं०) शिकारी। वनपाल (नपुं०) वनप्रदेश, अरण्यक्षेत्र। वनपुष्पं (नपुं०) जंगली फूल। वनप्रवेशः (पुं०) तपस्वी जीवन में प्रवेश। वनप्रस्थः (पुं०) पठार, सघन वन क्षेत्र। वनप्रियः (पुं०) कोयल। ___०दाल चीनी का वृक्षा वन बहिणः (पुं०) अरण्य मयूर। वनभूः/वनभूमिः (वि०) ०वनभूमि ०अरण्यभू, गहनावनि। | (जयो० १३/४२) वनभूमिरुपागत (वि.) अरण्य क्षेत्रगत। वनमक्षिका (स्त्री०) गोमक्षी, डांस।। वनमल्ली (स्त्री०) जंगली चमेली। वनमाला (स्त्री०) वृक्षावली, सघन वृक्ष पंक्तियां। वनमालिन् (पुं०) कृष्ण। वनमालिनी (स्त्री०) द्वारिका पुरी। वचमुच् (वि०) जल डालने वाला। वनमूतः (पुं०) मेघ, बादल। वनमुद्गः (पुं०) अरण्य मूंग। वनमोच (स्त्री०) अरण्य कदली। वनरक्षकः (पुं०) वनपालक। वनराजः (पुं०) सिंह। वनरुहं (नपुं०) कमल का फूल। वनलक्ष्मी (स्त्री०) अरण्य शोभा। ०कदली, वनश्री। (दयो०७०) वनलता (स्त्री०) जंगली बेल। वनवह्निः (स्त्री०) दावानल, दावाग्नि। वनवासः (पुं०) वन में निवास। वन वासनः (पुं०) गंधबिलाव। ०वानप्रस्थ आश्रम। (जयो० २/११७) वनवासिन (पु०) वनवासी (दयो० ४६) कमल। (जयो०वृ० १८/४७) वनविचरणं (नपुं०) वन में भ्रमण। (सुद०८८) वनव्रीहि (स्त्री०) अरण्य धान्य। वनशोभनं (नपुं०) कमल। ०अरविंद। वनश्वन् (पुं०) गीदड़, व्याघ्र गंध बिलाव। वनश्री (स्त्री०) वनदेवी, वनलक्ष्मी। (दयो० ७०) अरण्य शोभा। वनसंकटः (पुं०) मसूर। वनसद् (पुं०) वनवासी। वनसरोजिनी (स्त्री०) जंगली कपास। वनस्थः (पुं०) हरिण। ०तापस। (जयो० १/३८) वनस्थली (स्त्री०) वन सम्पदा समूह। (वीरो० ६/१३) आधुनिक शिक्षा केन्द्र। वनस्पति (स्त्री०) वन सम्पदा, सजीव वृक्ष। (मुनि० ९) वनस्पतिकायिकः (पुं०) वनसम्पदा, जिनका शरीर वनस्पति होता है। (वीरो० १९/३१) 'वनस्पतिः कायः येषां ते वनस्पतिकाय: वनस्पतिकाया एव वनस्पतिकायिकाः (धव० ३/३५७) वनस्पतिजीवः (पुं०) वनस्पति जीव, जो जीव वनस्पतिकाय नामकर्म के उदय से युक्त होता है। वनाखुः (पुं०) खरगोश। वनाग्निः (स्त्री०) दावानल। वनाजः (पुं०) जंगली बकरा। वनान्तः (पुं०) अरण्यप्रदेश, जंगली सीमा। (सुद० ४/२३) 'हिंसामहं प्रोज्झितवानथान्ते प्राणांश्च संन्यासितया वनान्ते' (वीरो० ११२२३) वनान्तरं (नपुं०) उपवन, अरण्य का पृथक् भाग। वनापगा (स्त्री०) अरण्यसरित, जंगली नदी। वनारिष्टा (स्त्री०) जंगली हल्दी। वनाका (स्त्री०) जंगली अदरक। वनालक्तं (नपुं०) लाल मिट्टी, गेरुक। वनालिका (स्त्री०) सूरजमुखी। वनावनिः (स्त्री०) काननभूमि। (जयो० ३/११३) वनाश्रमः (पुं०) जंगल में आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम, एकान्त वास। वनाश्रमिन् (पुं०) वानप्रस्थी, संन्यासी, तपस्वी। वनाश्रयः (पुं०) वनवासी। वनिः (स्त्री०) [वन्+इ] कामना, इच्छा, वाञ्छा, चाह। वनिका (स्त्री०) [वनीकन्+टाप] उपवन, छोटा जंगल। वनिता (स्त्री०) [वन+क्त+टाप्] वनीजनी। (वीरो० ६/१३) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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