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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लिङ्ग ९१३ लीलातामरसं लिङ्ग (सक०) आलिंगन करना, परिभ्रमण करना, परिरमरण लिप्सुरसौ त्वदाज्ञां सुरीगणः स्यात्सफलोऽपि भाग्यात्। करना, रंग भरना, चित्रित करना। (वीरो० ५/५) लिङ्ग (नपुं०) (लिङ्ग अच्] चिह्न निशान, संकेत, लक्षण। लिबिः (स्त्री०) लिपि। प्रतीक. प्ररूप, प्रतिबिम्ब। लिम्प (सक०) लीपना, पोतना मूर्ति। ___ कलंक लगाना, मलिन करना, कलुषित रहना। लिङ्गधारिन् (वि०) वेषधारी, लक्षणयुक्त। लिम्पः (पुं०) लेप, मालिश। लिङ्गनाशः (नपु०) आलिंगन। लिम्पट (वि०) कामासक्त, विषयाभिलाषी। लिङ्गपरामर्शः (पुं०) चिह्न विचारना, लक्षण सोचना। लिम्पटः (पुं०) दुश्चरित्र, व्यभिचारी। लिङ्गपुराणः (पुं०) एक पुराण का नाम। लिम्पाकः (पुं०) नींबू, चकोतरा। लिङ्गप्रतिष्ठा (स्त्री०) पिण्ड स्थापन, मूर्तिस्थापना। लिम्पाकं (नपुं०) नींबू। लिड़वर्धन (वि०) उत्तेजना पैदा करने वाला। लिम्पितुं (लिम्प्+तुमुन्) लीपने के लिए। (जयो० ९/९३) लिङ्गवेदी (वि०) लक्षण का ज्ञाता। लिलिङ्ग (वि०) आलिङ्गितवती। (जयो० १९/१६) लिङ्गिन् (वि०) [लिङ्गमस्त्यस्य इति] विशेषता युक्त, लक्षण लिश् (सक०) जाना, चोट पहुंचाना। सहित, ०छद्मवेशी, पाखंडी, सूक्ष्म शरीरधारी। लिष्ट (भू०क०कृ०) [लिश्+क्त] न्यून हो गया। लिङ्गिन् (पुं०) ब्रह्मचारी। लिष्वः (पुं०) नर्तक, अभिनेता। लिपिः (स्त्री०) [लिप्+इक्] लिपि विशेष। लिहू (सक०) चाटना, चखना। ०ब्राह्मी लिपि, खर्राष्ट्रीलिपि-देवनागर लिपि। ०चबाना, खाना। लिखना, लेख, लिखितवर्ण, वर्णमाला, लिखने की | ली (सक०) पिघलना, टपकना, विघटित होना। कला। चिपकना, लेटना, विश्राम करना। ०लीपना पोतना। ०लीन होना, अनुरक्त होना। लिपिकः (पुं०) ०लेखक, लिपिक, अंकेक्षक। लीक्का (स्त्री०) लीख, यूकांड। लिपिकरः (पुं०) लेखक, लिपिक, नक्काशी वाला। लीढ (भू०क०कृ०) [लिह्+क्त] चखा गया, चाटा गया, लिपिकारः (पु०) लेखक, लिपिक। खाया गया। लिपिज्ञ (वि०) लिखने वाला। लीन (भू०क०कृ०) [ली+क्त] चिपका हुआ, जुड़ा हुआ, लिपिन्यास (पुं०) नकल करने की कला। संयुक्त, तल्लीन। लिपिफलकं (नपुं०) लिखने का पट्ट। प्रच्छन्न, आवृत्त, आच्छादित। (सम्य० १५२) लिपिशाला (स्त्री०) पाठाशाला। विद्या केन्द्र। ०संलग्न (समु० ६/१२) लुप्त, ओझल। लिपिसज्जा (स्त्री०) लिखने का उपकरण। लीला (स्त्री०) [लियंलाति-ला+क] खेल, क्रीड़ा, विनोद, लिप् (सक०) लीपना, पोतना। (जयो० २/७८) मनोरंजन, आनन्द। लिप्त (भू०क०कृ०) [लिप्त वत] संलग्न, आसक्त, लगा विलास। (सुद० १/२५) यस्मिन् पुमांस: मुरसार्थलीला: हुआ। (सुद०१/२५) ०सना हुआ, ढका हुआ, लीपा हुआ। ०केलि। (जयो० १६/८१) संयुक्त, मिला हुआ, जुड़ा हुआ। सौन्दर्य, लावण्य, लालित्य। लिप्तहस्तकवती (वि०) संयुक्त हाथों वाली, लिपटे हुए हाथों छाप्रवेश, ढोंग, बनावट। वाली। (मुनि० ११) लीलागृहं (नपुं०) क्रीड़ा स्थल, रमणभवन। लिप्सा (स्त्री०) [लभ् सन् भावे अ] अभिलाषा, वाञ्छा, प्राप्त लीलागेहं (नपुं०) देखो ऊपर। ० रंग शाला। करने की इच्छा । (सुद० ४/४५) लीलाकमलं (नपुं०) मनोरंजन, केलिकमल। लिप्सु (वि०) [लभ+सन्+उ] प्राप्त करने का इच्छुक। 'शक्रज्ञया लीलातामरसं (नपुं०) केलिकमल, पराग। (जयो० १६/८१) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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