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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लालितक: ९१२ लिङ्घ अवनावहो बुधाः। (सुद० ३/१७) लावण्यवती (स्त्री०) सौंदर्यशालिनी स्त्री। (समु०६/१३) ०पालन क्रिया गया, स्नेहित। लावण्यसुमनोलता (स्त्री०) सौंदर्य रूप पुष्पों की लता। अभिलषित, इच्छित, अभीषित। लावण्यं सौंदर्य तदेव सुमनसः पुष्पाणि तेषां लता वल्लीरूपं लालितकः (पुं०) [लालित कन्] ०लाडला, प्यारा, दुराला, (जयो० ३/३९) प्रिया लावण्याङ्कः (पुं०) मधुर, लावण्यगृह। (जयो० ६/५४) ०स्नेहपात्र, वात्सल्य भाजन। लावण्यस्य सौंदर्यस्याङ्को भवन्। (जयो०व०६/५४) लालित्य (वि०) प्रियता, लावण्य, सौंदर्य, आकर्षण, माधुर्य, लावण्यासारः (पुं०) सुंदरता का सार 'लावण्यस्य सौंदर्यस्य रमणीयता, अभीष्टता। आसारः प्रसारः' (जयो०वृ० ६/५१) लालिन् (वि०) [लल्+णिच्+णिनि] बहकाने वाला, फुसलाने लावनं (नपुं०) उच्छेदन। (जयो० २४/७३) वाला। लाविकः (पुं०) [लाव्+ठक्] भैंसा। लालिनी (स्त्री०) [लालिन्+ङीप] स्वेच्छाचारिणी स्त्री. कामिनी। लाषुक (वि०) [लष्+उकञ्] लोलुप, लालची, लोभ। लालुका (स्त्री०) माला, हार। लासक (वि०) [लण्+ण्वुल्] खेलने वाला, किल्लोल करने लाव (वि०) [लू कर्तरि घञ्] काटने वाला, धुनाई करने वाला। वाला। लासकः (पुं०) नर्तक। उल्लासक, ०अभिनयक। लावः (पुं०) काटना, लुनाई करने वाला। मयूर, मोर। ०लाव पक्षी। आलिंगन। लावकः (पुं०) [लू+ण्वुल] लवा पक्षी, बटेर। लासकं (नपुं०) चौबारा, बुर्ज। लावक (वि०) लावनी, काटने वाला, एकत्र करने वाला। लासकी (स्त्री०) नर्तकी। लावण (वि०) [लवणं संस्कृतं अण] ०नमकीन, खारा। लासनिवासः (पुं०) नृत्य शाला, रंगमंच। (जयो० २६/६५) लावणिक (वि०) [लवणे संस्कृतं ठण] नमकीन, नमक से लासिका (स्त्री०) [लासक ङीष्] नर्तकी। निर्मित। लास्य (नपुं०) [लस्+ण्यत्] नृत्य, नाच, नाचना। (जयो० प्रिय, सुंदर, मनोहर। १/३२, २/२९) लावण्य (वि०) [लवण+ष्यञ्] सौंदर्य, सलोनापन, मनोहरता, | लिक्षा (स्त्री०) ल्हीक, लीख। रमणीयता। ('लावण्य' का सरल अर्थ सौंदर्य है, पर सूक्ष्म लिक्षिका (स्त्री०) [लिक्षा+कन्+टाप् त्वम्] लीख। दृष्टि से विचार किया जाये तो इसका अर्थ शरीर की वह लिखु (सक०) लिखना, उत्कीर्ण करना, अंकन करना। लिलेख। चमक है, जिसमें सामने स्थिति वस्तु प्रतिबिम्बति हो। (जयो० ६/१२३) आलिखत् (जयो० ७/८३) आलेखन (जयो० हि० ११/४२) करना, चित्रित करना, रङ्ग भरना। (दयो० ७६) लावण्य-सौंदर्यम्, लावण्यं-लवणभावम, लावण्यं- ०पीस डालना, खोदना। क्षारभूतम् (जयो०वृ० ६/९४) लिखनं (नपुं०) [लिख्+ल्युट] लिखना, लेखन, अंकन, लावण्यकरः (पुं०) सौंदर्य को बहाना, लावण्य का पूर, सौंदर्य चित्रांकना की धारा। 'लावण्यस्य पू झरः' पूरो बभौ' (जयो०७० लेख, हस्तांकन। चित्रण, निरूपण। १२/७८) लिखित (भूक०कृ०) [लिख्+क्त] लिखा हुआ, चित्रित, लावण्यखचित (वि०) लावण्ययुक्त, सौंदर्य से परिपूर्ण-लावण्येन समङ्कित। (जयो० ११/५८) सौंदर्येन खचितः परिपूर्णः लिखितं (नपुं०) लेख, लेखन, अंकन। लवण भाव से परिपूर्ण-लवण भावेन खचितः परिपूर्णः। __०रचना, काव्य रचना। (जयो० ६/८१) लिगुः (पुं०) [लिंग+कु] ०हरिण। लावण्यमय (वि०) [लावण्य+मयट्] सौंदर्य युक्त, रमणीयता से परिपूर्ण। लिङ्घ (अक०) जाना, हिलना-डुलना। मूर्ख। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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