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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रुचक ८९७ रुद् अभिरुचि, इच्छा। (सुद० १०२) रुचिरं (नपुं०) केसर। शोभना (जयो० १/९३) अच्छा लगना। रुचिरता (वि०) मधुरता, ललितपना, मनोहरता। 'रुचिरतामिति रुचक (वि०) रुचिकर. सुखद, आनंदप्रद। कोकिकपित्सतां सरसभावभृतां मधुरारवैः' (वीरो०६/३५) ०क्षुधावर्धक। रुचिरुचिता (स्त्री०) तल्लीनता की विशेषता, अभिरुचि की ०चरपरा, तीक्ष्णः इच्छा। (सुद० ९१) रुचकः (पुं०) नींबू। रुचिवेदनं (नपुं०) इच्छाज्ञान। (वीरो०५/३४) ०उचित संवेदन। कबूतर रुचिहेतु (पुं०) रुचि का कारण। 'जल इव तृडपहारिणीशे तु रुचक (नपुं०) दांत। स्वादु तेव सासीद्रुचिहेतुः। (जयो० २२/६०) ०हार, माला। रोचमान (रुच्+शानच्) प्रिय लगने वाला। (सुद० १२५) ०काला नमक। रोचिष्णु (वि०) रुचिकर लगने वाला। (जयो० २७/४०) रुचात्मन् (वि०) अभिरुचिपूर्ण। (जयो० १४/२९) रुच्य (वि०) उज्ज्वल, साफ, स्वच्छ, प्रिय, सुंदर, मनोज्ञ। रुचामय (वि०) कान्तिमय। (जयो० १०/३) रुच्यर्थ (वि०) उत्तमता, अच्छा लगने वाला। (सुद० १०२) रुचिः (स्त्री०) [रुच्+कि] कान्ति, प्रकाश आभा, प्रभा। रुज् (सक०) नष्ट करना, ध्वंस करना। (सुद० १२०) ०दु:ख देना। (जयो० २/७०) ०पीड़ा देना, रोगग्रस्त होना। ० उज्ज्वलता। छवि, रंग। रुज्/रुजा (स्त्री०) भंग। ०पीड़ा, संताप, यातना, वेदना। (जयो० ९/६३) स्वाद, आनंद, अभिरुचि। 'रुच्या न जातु तमृते सकला रोग। (जयो० २/२८) समस्या'। (सुद० २६) अस्वास्थ्यकर। (जयो० ११/४३) शोभामनुरक्ति (जयो० ४/६०) बाधा, विघ्न। 'शत्रुसम्पत्तीनां मध्ये रुजां प्रजातिः' (जयो० लवलीनता, तल्लीनता। (सुद० ५/३) १/५२) ०कामना, खुशी। 'फलतीष्टं सतां रुचि।' (सुद० ३/४३) ०बीमारी, व्याधि। रुचिकर (वि०) स्वादिष्ट, रोचक। (जयो०व०१२/१२८) ०थकावट, श्रम, प्रयत्न, कष्ट। चमकोला। शोभायमान। (समु० ७/१) रुजप्रतिक्रिया (स्त्री०) रोग की चिकित्सा। रुचिकरी (वि०) इष्टकरी, आनंदायी। (जयो०वृ० ३/६३) रुजभेषजं (नपुं०) औषध। रुचिकारक (वि०) सुरुचिपूर्ण। (जयो० १/९४) (जयो० रुजसद्मन् (नपुं०) विष्ठा, मल। १/१७) कान्तिपूर्ण। गुणवती। (जयो० ३/६१) रुजि (स्त्री०) वेदना, रोग। (सम्य०५१) रुचित (वि०) सौंदर्यपूर्ण, अभिरुचि युक्त। (जयो० २/१५५) रुण्डः (पुं०) [रुण्ड्+अच्] कबन्ध, धड़, सिर रहित शरीर। रुचिदा (वि०) रुचिकर। (समु० १/१४) रुतं (नपुं०) [रु+क्त] क्रन्दन विपलन, विलाप। (जयो० रुचिधुरी (वि०) यशस्वी। (समु०५/२२) ९/२०) रुचिभर्तृ (पुं०) सूर्य, दिनकर। ०किलकिलाना, दहाड़ना। ०चन्द्र। ०सूजना, शब्द करना। रुचिमल्ल (वि०) शोभा युक्त। (समु० २/१) रुतज्ञः (पुं०) भविष्यवक्ता, ज्योतिषी। रुचिर (वि०) [रुचिं राति ददाति-रुच्+किरच्] मनोज्ञा । रुतव्याजः (पुं०) कुट क्रन्दन, स्वांग। (जयो० ६/९४) रुद् (अक०) रोना, विलाप करना, क्रंदन करना। (सुद० ० उज्ज्वल, कान्तिमय, रुचिकर। ३/२६) रौति (जयो० २५/७१) रुदति (जयो० ९/७) ०मधुर, ललिता (सुद० ४/१०) ०क्षुधावर्धक, भूख बढ़ाने वाला। ०शोक मनाना, आंसू बहाना, दहाड़ना, चिल्लाना। ०पुष्टिदायक, बलवर्धक। फूट फूटकर रोना। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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