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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सलोकता ११७१ सव्याज सलोकता (स्त्री०) [समानः लोको यस्य इति सलोकः तस्य | सविभव (वि०) [सत्त्वेन सह] प्राणियों सहित। भावः तल्+टाप्] एक ही लोक का होना। आन्नदायिनी। (जयो० ३/११५) सल्लकी (स्त्री०) एक वृक्ष विशेष। सवितानुकूलः (पुं०) सूर्यानुकूल। (वीरो० १२/२३) सल्लीन (वि०) मुग्धा (जयो०१० २३/५) सवितृ (वि०) जनक, उत्पादक। जन्म देने वाली। (जयो०१/६४) सवः (पुं०) [सु+अच्] तर्पण, चढ़ावा। सवितृ (पुं०) सूर्य, रवि। (जयो० ८।८९) ० स्तवन। (जयो० १/११) सवित्री (स्त्री०) माता। ० गाय। ० सूर्य। सविध (वि०) [सह विधया] विधि सहित। ० यज्ञ। सविधम् (नपुं०) सामीप्य, पड़ोस। ० चन्द्र। सविनयम् (अव्य०) विनयपूर्वक। सवर्णा (स्त्री०) सवर्ण संज्ञा। तुल्या वर्णनां यस्याः साऽसि वः । सविभावः (पुं०) सूर्य। (जयो० १३/१२) सान्त्वनार्थे वर्तते, तेन सान्त्वनेन सहितः सवस्तस्मिन्नणं सविभूति (वि०) विभूति युक्त, भस्मधारक। विभूतिमत्त्वं कृपा यस्याः सा सवर्णाऽसिः। (जयो० ६/८५) वैभवयुक्तता भस्मधारिता। (जयो०वृ० १/३०) सवल्गः (पुं०) खलीनसहित, लगाम। (जयो० २१/१९) | सविलास (वि०) हास भाव परक। (जयो० १०/११९) सवदर्शनम् (नपुं०) विवाहोत्सवावलोकन। (जयो० १०/१३) सविशेष (वि०) [सह विशेषेण] विशिष्टता युक्त। सवनम् (नपुं०) [सु+ल्युट्] ० यज्ञ। ० असाधारण। ० स्नान। ० प्रमुख, श्रेष्ठ। (सुद० ३/३१) ० जनन, प्रसव। ० विलक्षण। सवराज्यम् (नपुं०) राज्याभिषेक। (जयो० २६/१८) सविस्तर/सविस्तार (वि.) [सह विस्तरेण] विवरण सहित, सवयस् (वि०) [समानं वयो यस्य] समवय वाला, समान विस्तार युक्त। (जयो० ४/६४) अवस्था युक्त। सविस्मय (वि०) [सह विस्मयेन] आश्चर्यचकित, आश्चर्य सवयस् (पुं०) मित्र। जनक, चकित, अचम्भे युक्त। (सुद० १०७) सवयस् (स्त्री०) सखी, सहेली, सहचरी। सवृद्धिक (वि०) [सह वृद्ध्या] वृद्धि युक्त, ब्याज युक्त। सवरः (पुं०) जल। ० शिव। सवेग (वि०) सरभ, सहसा। (जयो०८) सवर्ण (वि०) [समानो वर्णो यस्य] समान वर्ण वाला, एक ही सवेश (वि.) [सह वेशेन] अलंकृत वेश युक्त। __ रंग वाला। तुल्या वर्णानां यस्या साऽसि (जयो० ६/८५) सवेग (सह वेगेन) वेग युक्त, तीव्रता सहित। (जयो० १/१९) वर्ण श्रवणशील। (जयो० १/६२) सवेगगमनम् (नपुं०) शीघ्र गमन। (जयो० १/१९) ० तुल्य वर्ण। (जयो० ६/८५) सवेदन (वि०) ज्ञान सहित। ० उच्च वर्ण वाला। (हित० ९) ० वेदना सहित। (जयो० ११४८९) अलंकरण सहित, • एक ही जाति वाला। वेशभूषा सहित। सवर्णसंज्ञा (स्त्री०) वर्गों का समान संज्ञा। सव्य (वि०) [स्+य] बाया, वाम। (जयो० २४/१०) सवसंत (वि०) जड़ता का अन्त। (सुद० ८१) ० वाम। सविकल्प (वि०) [सह विकल्पेन] विकल्पयुक्त। ० दक्षिणी। ० संदिग्ध। ० विरोधी। (जयो० २५/६४) सविक्रिय (वि०) विकार युक्त। (जयो० ७/७३) सव्यम् (अव्य) अपसव्य। सविग्रहः (वि.) [सह विग्रहेण] संघर्षरत। सव्यपेक्ष (वि०) [व्यपेक्षया सहा संयक्त. निर्भर . सार्थक। सव्यभिचारः (पुं०) [सह व्यभिचारेण] हेत्वाभास का एक सवितरः (पुं०) सूर्य। (दयो०५२) सवितर्ज (वि०) विचारवान्। सव्याज (वि.) [सहव्याजेन] छलक पटी, चालाक। भेद। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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