SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 312
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सम्यगनुष्ठानतत्परः ११६५ सम्विदित सम्यगनुष्ठानतत्परः (पुं०) सत्यधर्ममार्ग में तत्पर। (जयो०वृ० १/१०८) सम्यगनेकान्तः (पुं०) अस्तित्व-नास्तित्व के स्वरूप का निरूपक सिद्धान्त। सम्यगर्थवान् (वि०) समर्थवान्। (जयो०वृ० १/७२) सम्यगाचार: (पुं०) समीचीन चारित्र। सम्यगागमः (पुं०) आप्तोपज्ञो ग्रन्थः। (जयो०७० ३/११५) सम्यगेकान्तः (पुं०) एक देश की प्रामाणिकता वाला कथन। सम्यग्गोलाकारः (पुं०) सुवृत्त। (जयो०७० ३/४६) सम्यग्ज्ञानम् (नपुं०) संशय. विमोह, विभ्रम रहित ज्ञान, उत्तम ज्ञान। परमज्ञान। (त०लू०पृ० ७) । सम्यग्दर्शनम् (नपुं०) प्रशस्त दर्शन, तत्त्वार्थ श्रद्धान् (त०सू०७) (सम्य० ८९) सम्यग्दृश (वि०) सम्यक् श्रद्धा वाला, सम्यक् दृष्टि वाला। (सम्य० ७९) सम्यग्दृशाञ्चित (वि०) सम्यग् दृष्टा, सम्यक् दृष्टि वाला। (जयो० १०/८४) सम्यग्दृष्टिः (स्त्री०) शोभन दृष्टि, सत्पदार्थावलोकिनी दृष्टि। (सम्य० १२८) सम्यग्धुत (वि०) अच्छी तरह नष्ट हुआ। भो भो! मोहमहातमस्ततिरितः किन्नैव सम्यग्धुता। (मुनि० १) सम्यग्वलिन् (वि०) अत्यन्त बलशाली। (सुद० २/४३) सम्यग् वाच्यवती (वि०) शोभनाभिप्रायवती (जयो०७०३/१८) सम्यग्वादः (पुं०) यथार्थ भाषण, वदनं वाद: राग-द्वेषपरिहारेण। सम्वपुष्य् (वि०) मूर्तिमान। (जयो० ११/१६) सम्वर्धामान (वि०) बढ़ते हुए। (वीरो०८/६) सम्वत् (अक०) होना। (मुनि० १) सम्वलः (पुं०) आधार, कलेवा। (समु० ४/३१) (समु० ३/१६) सम्यग्विभवः (पुं०) यथार्थ वैभव। 'जानन्ति सम्यग्विभवो रहस्ते' (सुद०८/४) सम्च् (सक०) कहना, बोलना। हेऽवनीश्वरि सम्वच्मि सम्वच्मीति न नेति सः। (सुद०८५) सम्वद् (अक०) कहना, समर्थन करना, बोलना। (जयो० २।८२) चाहना (समु० २/२६) (समु० ३/१४) सम्वदा (स्त्री०) प्रतिज्ञा। (सुद० ९६) सम्वयः (०) मित्र, तुल्यावस्था-सं समानं वय आयु-तुल्यावस्था (जयो० १२/१३१) सम्वशा (वि०) सम्यग्वशीभूत। (जयो० २/७३) सम्वृतिका (स्त्री०) परदा, यवनिका, आवरण। (जयो० २४/३७) सम्वरखा (वि०) पानी के समान आकाश सहित। निर्मल जल सहित। संवरं जलं तद्वत् खमाकाशं यस्याः संवरो जिन भगवानेव तद्वत् सं बुद्धिर्यस्याः सा-खमाकाशे दिवि सुखे, बुद्धौ संवेदने पुरे। संवरे सलिले मेघे, संवरोऽथ जिनान्तरे' इति विश्वलोचने (जयो०३० २६/४९) सम्वर्द्धिनी (स्त्री०) बढ़ने वाली। (जयो०वृ० ११/६८) सम्वारित (वि०) निवारित, दूर किया हुआ। (जयो० १३/२१) सम्वत्लरः (पुं०) वर्ष, अब्द (जयो० २०/५) सम्वादः (पुं०) उत्तम वार्तालाप। (जयो०१/३) सम्वर्मित (वि०) विसर्जित। (सुद० १०३) सम्विधापिन् (वि०) धारक, धारण करने वाला। (सुद० १०७) सम्विषयः (पुं०) गंभीर विषय। (सुद० ११८) सम्व्यचर (अक०) विचरण करना। (सुद० ११८) सम्वरित (वि०) विनाशित। (जयो० १५/१५) सम्वश (वि०) वशीभूत। (सुद० १२७) सम्वाञ्छा (स्त्री०) प्रबल इच्छा। (सुद० ११३) सम्वादः (पुं०) शोभन वचन, वार्तालाप। सम्वादकरी (वि.) आशीर्वादसूचिनी। (जयो० १२/९७) सम्वादवादी (वि०) सम्वादपक्षपाती। (जयो० १५/६१) सम्वादविधि (स्त्री०) वार्तालाप पद्धति। परिचर्चा विधि (वीरो० १७/६) (समु० ८/२९) सम्वाहनम् (नपुं०) पादचम्पन, पैर दबाना। (जयो० १७/४१) सम्वंश (वि०) स्वाधीन। (जयो० १०/६७) सम्वरोह (वि०) पापापहारक, पाप को नष्ट करने वाले। सम्वराय पापावरोधाय ऊहो वितर्को यस्य सः। (जयो०१० १०/९५) सम्विदा (स्त्री०) सम्यग्बुद्धि। (जयो० २।८४) सम्वित्तत्व (वि०) पाण्डित्यपूर्ण। (जयो० २८/६०) सम्विदित (वि०) अनुभूत। (जयो० ५/५५) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy